नई दिल्ली। महालक्ष्मी व्रत करने Mahalakshmi Vrat 2022 वाले भक्तों का इंतजार खत्म हुआ है। Mahalakshmi Vrat Date 2022 आज यानि 3 सितंबर से महालक्ष्मी व्रत की शुरूआत होने जा रही है। 16 दिन तक kub hai maha laxmi vrat 2022 चलने वाले इस व्रत में हर दिन एक विशेष कार्य किया जाता है। अगर आप भी इस व्रत की शुरूआत करना चाहते हैं तो आपको बता दें इसके लिए क्या मुहूर्त, पूजन विधि हैं साथ ही जानेंगे कुछ खास उपाय जो आपको करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह पूजा इसलिए और अधिक खास मानी जाती है क्योंकि इन्हें दीपावली से भी बड़ी लक्ष्मी माना जाता हैै।
महालक्षमी की कृपा पाने के लिए ये व्रत विशेष खास माना जाता है। इसे दीपावली से बड़ा पर्व मानते हैं। क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी नहीं बल्कि महालक्ष्मी का पूजन किया जाता है। हमारे हिंदु धर्म में इस व्रत का बड़ा महत्व है। अष्टमी तिथि से शुरू हुए ये महालक्ष्मी यानि गजलक्ष्मी व्रत के साथ समाप्त हो जाएंगे। इस वर्ष 17 सितंबर को महालक्ष्मी व्रत आएगा। पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार शनिवार से शुरू हो रहे इस व्रत में कुछ ऐसा काम है जो आपको जरूर करना चाहिए।
इस दिन से शुरू हो जाएंगी गांठें बंधना –
आपको बता दें ये व्रत 3 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर तक चलेगा। शनिवार को अष्टमी तिथि पर व्रत का संकल्प लेकर एक बड़े धागे में पहली गांठ बांध कर इसकी शुरूआत की जाएगी। इसके बाद हर दिन की एक-एक गांठ बंधेगी। महालक्ष्मी व्रत के दिन आखिरी गांठ बांध कर पूजन के साथ ये व्रत समाप्त हो जाएंगे।
महालक्ष्मी व्रत 2022 शुभ मुहुर्त Mahalakshmi Vrat 2022 shubh muhurat
महालक्ष्मी व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है। सुहागिन महिलाएं राधा अष्टमी यानी 3 सितंबर से इस व्रत को रखना शुरू करेंगी। अष्टमी तिथि 3 सितंबर को दोपहर 12ः28 बजे से शुरू होगी और 4 सितंबर को सुबह 10ः39 तक चलेगी। महिलाएं चाहें तो 4 सितंबर को अष्टमी तिथि के खत्म होने से पहले भी व्रत रखना शुरू कर सकती हैं।
महालक्ष्मी व्रत पूजन विधि Mahalakshmi Vrat 2022 vrat pujan vidhi
माना जाता है कि अगर विधि पूर्वक और श्रद्धा से महालक्ष्मी व्रत पूरा किया जाए तो देवी लक्ष्मी बहुत प्रसन्न हो जाती हैं। मान्यताओं में महालक्ष्मी व्रत का काफी महत्व हैण् इस व्रत को रखने वाली सुहागन महिलाओं को लक्ष्मी माता को सुहाग का सामान जैसे साड़ी, बिंदी, सिंदूर, बिछिया, चूड़ी आदि अर्पित करनी होती है। ऐसा करने से सुहाग की उम्र बढ़ती है और घर में सुख.शांति रहती है। फूल चढ़ाएं और दीपक या धूप चढ़ाने के बाद विधिवत पूजा करें। इसके बाद मां महालक्ष्मी को कमलगट्टा चढ़ाएं और आरती करें। भोग लगाने के बाद मां महालक्ष्मी स्त्रोत और कथा पढ़ी जाती है।
धन-दौलत पाने के लिए महालक्ष्मी व्रत के अचूक उपाय –
महालक्ष्मी व्रत में हाथी पर बैठी मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही श्रीयंत्र की विधि-विधान से पूजा करके घर में स्थापना करें। ऐसा करने से कभी भी धन-समृद्धि की कमी नहीं होगी।
महालक्ष्मी की पूजन के दौरान पुराने चांदी के सिक्कों की कौड़ी के साथ रखकर केसर और हल्दी से पूजन करें। फिर इन सिक्कों और कौड़ी को तिजोरी में रख दें.।धन-संपत्ति तेजी से बढ़ेगी।
महालक्ष्मी व्रत के दिन शाम को मां लक्ष्मी के चरणों में 7 की कौड़ियां अर्पित करें और फिर विधि-विधान से पूजा करें। बाद में इन्हें घर के किसी कोने में दबा दें। आर्थिक हालात तेजी से बदलेंगे।
महालक्ष्मी व्रत के दिन मां लक्ष्मी को कमल का फूल जरूर अर्पित करें। साथ ही सफेद मिठाई का भोग लगाएं। इससे लक्ष्मी जी जल्दी प्रसन्न होती हैं।
महालक्ष्मी व्रत के 16 दिनों के दौरान रोज शाम को घर के मुख्य द्वार या किसी कोने में गाय के घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से धन योग बनता है।
महालक्ष्मी व्रत कथा
प्राचीन समय की बात है कि एक बार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह ब्राह्मण नियमित रुप से श्री विष्णु का पूजन किया करता था। उसकी पूजा.भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्री विष्णु ने दर्शन दिये और ब्राह्मण से अपनी मनोकामना मांगने के लिए कहा।
ब्राह्मण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जाहिर की। यह सुनकर श्री विष्णु जी ने लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग ब्राह्मण को बता दिया। जिसमें श्री हरि ने बताया कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती है जो यहां आकर उपले थापती है। तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना और वह स्त्री ही देवी लक्ष्मी हैं।
देवी लक्ष्मी जी के तुम्हारे घर आने के बाद तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जाएगाण् यह कहकर श्री विष्णु चले गए। अगले दिन वह सुबह चार बजे ही मंदिर के सामने बैठ गया। लक्ष्मी जी उपले थापने के लिए आईं तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया।ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गई कि यह सब विष्णु जी के कहने से हुआ है।
लक्ष्मी जी ने ब्राह्मण से कहा की तुम महालक्ष्मी व्रत करो। 16 दिनों तक व्रत करने और सोलहवें दिन रात्रि को चन्द्रमा को अर्ध्य देने से तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा। ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारा, लक्ष्मी जी ने अपना वचन पूरा किया। उस दिन से यह व्रत इस दिन विधि.विधान से करने व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है।