Waseem Rizvi: कुछ ही महीने पहले मुस्लिम से हिन्दू बने वसीम रिजवी उर्फ़ जीतेन्द्र नारायण त्यागी को अब हिन्दू धर्म भी पसंद नहीं आ रहा है हाल ही में उन्होंने इस बात का जिक्र वीडियो के माध्यम से किया उनका मानना है की उनकी घर वापसी के बाद उनको हिन्दू धर्म में वह प्यार और सम्मान नहीं मिला है जैसा प्यार और सम्मान कोई रिश्तेदार के घर वापसी में देखने को मिलता है।
जीतेन्द्र नारायण त्यागी ने यह कहा-
जीतेन्द्र नारायण त्यागी का कहना है की मैंने जो भी किया बहुत सोच-समझ कर किया है। मेरे मुस्लिम से हिन्दू बनने के बाद मुझे कई लोगों के मेसेज और कॉल आये की सनातन धर्म में जाकर आपको क्या मिला। मैं समझता हूँ की उस वक्त इस्लामिक जिहाद, आतंकी गतिविधियों और बच्चों को दी जा रही कट्टरपंथी शिक्षा से मैं परेशान था। वह यह भी कह रहे हैं की वह सनातन धर्म में हैं और मरते दम तक सनातन धर्म में ही रहेंगें।
जीतेन्द्र नारायण त्यागी ने आगे कहा की 1400 साल बाद पता नहीं पता हम कितनी नस्लों के बाद घर वापस हुए हैं और मैं पहले से ही सनातन धर्म से प्रभावित था और मुझे भगवान शिव, भगवान श्री राम और भगवान श्री कृष्ण और ख़ास तौर से हिन्दू संस्कृति से प्रभावित था।
सनातन धर्म में वापसी सही फैसला है-
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में वापसी के फैसले को आज भी सही समझता हूं, लेकिन मुझे अफसोस ये हुआ कि मेरे साथ ऐसा रवैया अपनाया गया कि घर के उस वक्त के सदस्यों में तो आपस में बहुत प्रेम है, लेकिन पता नहीं क्यों, हमकों नहीं लगता कि हमें वो प्यार-मोहब्बत मिली। जितेंद्र त्यागी ने आगे कहा कि वह बहुत डिप्रेशन में हैं और उनकी जिंदगी का कोई ठिकाना नहीं है। उन्होंने कहा कि दुश्मनों से मरने से बेहतर मैं ये फैसला करूं कि मैं अपने जीवन को खुद समाप्त कर लूं, लेकिन मैं सनातन में हूं और मरते दम तक सनातन धर्म में ही रहूंगा।
वसीम रिजवी उर्फ़ जीतेन्द्र नारायण त्यागी वही शक्श हैं जिन्होनें कुरआन की 26 कों सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन पर इस तरह की याचिका दायर करने को 50 हजार का जुर्माना भी लगाया था।