कोच्चि। INS Vikrant भारत देश के नाम आज एक औऱ उपलब्धि जुड़ने जा रही है जहां पर पहले से देश का मान बढ़ा रहे भारत के समुद्री इतिहास में अब तक के सबसे बड़े जहाज तथा स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत INS विक्रांत का जलावतरण किया जा रहा है। बताते चलें कि, 25 साल बाद एक बार फिर से विक्रांत का देश में पुनर्जन्म हुआ है। जो 31 जनवरी 1997 को नेवी से रिटायर कर दिया गया था। इस मौके पर नौसेना अधिकारी समेत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौके पर मौजूद रहे।
20 हजार करोड़ में किया निर्माण
आपको बताते चलें कि, पुराने एयर क्राफ्ट में बदलाव करके इसका निर्माण 20,000 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इस मौके पर पीएम मोदी नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर को सुबह 9:30 बजे इसे इंडियन नेवी को विक्रांत को नौसेना की क्षमता बढ़ाने के लिए सौंप दिया है। वही पर नौसेना में अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से लैस युद्धपोत का जलावतरण भी किया गया। बताते चलें कि, प्रधानमंत्री इस अवसर पर औपनिवेशिक अतीत को खत्म करते हुए नए नौसेना ध्वज (निशान) का भी अनावरण किया है। इस अनावरण कार्यक्रम के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, एर्नाकुलम के सांसद हिबी ईडन, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरी कुमार और नौसेना और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के शीर्ष अधिकारी सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे है।
पीएम मोदी ने किया ट्वीट
इस मौके पर पीएम मोदी द्वारा आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसे लेकर पोस्ट शेयर की है जिसमें लिखा है, “2 सितंबर रक्षा क्षेत्र में आत्मानिर्भर बनने के भारत के प्रयासों के लिए एक ऐतिहासिक दिन है।
केरल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन में नौसेना के नए निशान का अनावरण किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद हैं। pic.twitter.com/tHVU66a3jU
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 2, 2022
विक्रांत से देश को क्या मिलेगा फायदा
आपको बताते चलें कि, देश के सबसे बड़े स्वदेश निर्मित विमानवाहक पोत INS विक्रांत के भारतीय नौसेना में शामिल होने पर भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों के उन चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा, जिनके पास स्वदेशी रूप से एक विमान वाहक डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता है। वहीं पर इस स्वदेशी विमानवाहक पोत की बात की जाए तो, INS विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात होंगे, जिनमें 20 लड़ाकू विमान होंगे और 10 हेलीकॉप्टर होंगे. फिलहाल विक्रांत पर मिग-29के (‘ब्लैक पैंथर’) फाइटर जेट तैनात होंगे और उसके बाद डीआरडीओ और एचएएल द्वारा तैयार किया जा रहा टीईडीबीएफ यानी टूइन इंजन डेक बेस्ड फाइटर जेट होगा।
जानें इसकी खासियत
आपको इसकी खासियत के बारे में बताते चलें तो, करियर समुद्र के ऊपर तैरता एक एयरफोर्स स्टेशन है जहां से फाइटर जेट्स, मिसाइलें, ड्रोन के जरिए आतंकी साजिशों को नाकाम करते है। वहीं पर इसके जरिए 32 बराक-8 मिसाइलें दागी जा सकेंगी. 44,570 टन से अधिक वजनी, यह युद्धपोत 30 लड़ाकू जेट विमानों को समायोजित करने में सक्षम है और दृश्य सीमा से परे हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और निर्देशित बमों और रॉकेटों से परे जहाज-रोधी मिसाइलों से लैस से माना जाता है। यह विभिन्न विमानों को संभालने के लिए आधुनिक लॉन्च और रिकवरी सिस्टम से भी युक्त है।