नई दिल्ली। पितरों के लिए समर्पित 11 सितंबर Pitru Paksha 2022 यानि रविवार से श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो रहे हैं। pitru paksha date 2022लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष में तर्पण करते हैं। pitru paksha kub se hai हिन्दु धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इसे श्राद्ध भी कहा जाता है। श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पर्वक भी होता है। इस साल पितृ पक्ष 11 सितंबर से शुरू होंगे, जो कि 25 सितंबर तक चलेंगे।
कहते हैं पितृ पक्ष में कोई भी शुभ काम करना वर्जित है। शायद आप भी ऐसा ही सोचते होंगे। लेकिन ऐसा नहीं है। पंडित सनत कुमार खम्परिया की मानें तो केवल विवाह संबंधी कार्यों को छोड़कर हर तरह की शुभ कार्य shradha 2022 इन श्राद्ध पक्षों में किए जा सकते हैं। चाहे खरीदारी करना हो या मकान खरीदा, सभी कार्य बेहद शुभ माने गए हैं। जानिए क्या है इसके पीछे का कारण।
ताकि पितृ ग्रहण कर सकें तपृण
ऐसी मान्यता है कि मृत्युलोक के देवता यमराज पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं। ताकि वे तर्पण ग्रहण कर सकें। इसके महत्व का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है।
श़ास्त्रों में कहीं नहीं है उल्लेख
पंडित सनत कुमार खम्परिया कहते हैं कि पितृ पक्ष Pitra Paksha 2022 में खरीदारी न करने की धारणा लोगों द्वारा स्वयं बनाई गई है। आज तक किसी शास्त्र में ऐसा वर्णित नहीं है कि इस समय कोई शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए। केवल विवाह संबंधी कार्यों को छोड़कर अन्य सभी तरह के शुभ कार्य इस समय किए जा सकते हैं।
जब मनाते हैं महालक्ष्मी पर्व तो फिर क्यों वर्जित है खरीदारी maha laxmi parv
जब हम पितृ पक्ष के मध्य में महालक्ष्मी मनाते हैं। जिसे दीपावली से Pitru Paksha Date 2022 Do And Donts भी बड़ी लक्ष्मी माना जाता है। तो फिर इस दौरान किसी चीज की खरीदारी करना अशुभ कैसे माना जा सकता है। पितरों का फल देवों के फल के तुल्य होता है।
तिरूपति बालाजी में तो मनाते है बृहृमोत्सव tirupati balaji temple andhara
पंडित सनत कुमार खम्परिया के अनुसार पितृ पक्ष में अष्टमी तिथि पर आंध्र के तिरूपति बालाजी मंदिर में बृहृमोत्सव मनाया जाता है। जिसमें भगवान तिरूपति और मां पद्मावति का मिलन होता है। इसे बृहृमोत्सव कहा जाता है।
भूल कर भी न करें ये शुभ कामः
ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, घर के लिए महत्वपूर्ण चीजों की खरीददारी न करें। इसके अलावा पितृ पक्ष में नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए। इसके अलावा श्राद्ध का कार्य दिन में करना चाहिए।
तिथि के अनुरूप करें श्राद्ध
11 सितंबर.प्रतिपदा श्राद्ध
12 सितंबर.द्वितीया श्राद्ध
13 सितंबर.तृतीया श्राद्ध
14 सितंबर.चतुर्थी श्राद्ध
15 सितंबर.पंचमी श्राद्ध
16 सितंबर.षष्ठी श्राद्ध
17 सितंबर.सप्तमी श्राद्ध
18 सितंबर.अष्टमी श्राद्ध
19 सितंबर.नवमी श्राद्ध
20 सितंबर.दशमी श्राद्ध
21 सितंबर.एकादशी श्राद्ध
22 सितंबर.द्वादशी श्राद्ध
23 सितंबर.त्रयोदशी श्राद्ध
24 सितंबर.चतुर्दशी श्राद्ध
25 सितंबर.अमावस्या श्राद्ध
नोट — इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। किसी भी जानकारी को अमल में लाने के पहले विषय विशेषज्ञ की सलाह ले लें।