नई दिल्ली। बैंक से यदि आप लेना चाहते हैं तो बैंक आपसे गारंटर मंगता हैं। बैंक ही नहीं कोई भी वित्तीय संस्थान ज्यादातर बिना गारंटर के लोन नहीं देते हैं। ऐसे में लोन के गारंटर पर बड़ी अहम् भूमिका रहती हैं। लोन लेने वाले की जितनी जिम्मेदारी होती हैं उतनी ही जिम्मेदारी लोन गारंटर की भी होती हैं वह भी कर्ज का बराबर कर्जदार रहता हैं।
बैंक या कोई भी वित्तीय संस्थान गारंटर इसलिए मानती हैं ,यदि जिसने लोन लिया हैं वो लोन को भर पाने में सक्षम नहीं हैं तो फिर बैंक अपने लाओं की कीमत गारंटर से वसूल करती हैं। बैंक कानूनी रूप से गारंटर पर करवाई करने के बिलकुल स्वतंत्र रहती हैं।
Yes Bank ने अपनी अधिकारी वेबसाइट पर गारंटर की बारें में जानकारी देते हुए कहा कि गारंटर वो होता है, जो किसी और के लोन का भुगतान करने के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान करता हैं।यह कोई औपचारिकता नहीं होती हैं बल्कि यदि जिसने लोन लिया हैं और वो नहीं चूका पा रहा हैं तो इस स्थिति में लोन को चुकाने के लिए गारंटर समान रूप से जिम्मेदार होता है। गारंटर के लिए हर बैंक ने अलग-अलग नियम तय किये हैं।
इसलिए ज़रूरी हैं गारंटर
बैंक के पास जब कोई लोन लेने जाता हैं ,तब सबसे पहले बैंक डॉक्यूमेंट मांगता हैं। यदि बैंक को आपके डॉक्यूमेंट पर्याप्त नहीं लगते हैं और उन्हें थोड़ा संसय रहता हैं। ऐसी स्थिति में बैंक कर्ज लेने वाले से गारंटर की मांग करता हैं। अगर कोई बड़ी राशि का लोन ले रहा है, तो इसके लिए गारंटर की जरूरत पड़ती है। यदि आप भी किसी का गारंटर बने तो इससे पहले ये नियम जान में नहीं तो भरी नुकसान उठा सकते हैं।
गारंटर रहता हैं बराबर का कर्जदार
गारंटर से पहले यह नियम आपको बहुत ज़रूरी हैं। यदि आपने बैंक में जिसकी गारंटी ली हैं और वो कर्ज नहीं चूका पा रहा हैं। उसे डिफाल्टर होने की बाद बैंक आपसे कर्ज की राशि वसूलेगी ,इसके लिए बैंक बाकायदा आपका घर नोटिस भी भेज सकती हैं। हालाकिं ऐसा नहीं हैं बैंक आपको सीधे ही नोटिस भेज दे। पहले बैंक कर्ज वसूलने की पूरी कोशिश कर लेती हैं। यदि फिर भी वो पैसे वसूलने में असमर्थ रहती हैं। तब गारंटर की लिए मुसीबतें बढ़ जाती हैं।