इंसान के जीवन में मानसून आना जीवन भी है तो एक तरह से कुदरत का कहर भी है। अगर मानसून नहीं आए तो किसान सूखा ग्रस्त का शिकार हो जाता है और अगर मानसून भयानक स्थिती में आए तो बाढ़ का शिकार हो जाता है। बाढ़ के चलते किसान ही नहीं शहरी लोगों को भी वो सबकुछ गंवाना पड़ जाता है जो उसने कड़ी महनत से कमाया था। देश हर साल अच्छी बारिश की कामना करता है। क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था मानसून के बिना प्रभावित हो जाती है। लेकिन अगर बारिश उम्मीद से ज्यादा हो जाए तो वह बाढ़ बन कर उभरती है, और इस बाढ़ में कितना नुकसान होता है यह आप सोच भी नहीं सकते है? बाढ़ की चपेट में आने से आम जनता अपना काफी कुछ गंवा देती है।
बाढ़ में बह जाते है करोड़ा रूपये
साल 2018-2020 के आंकड़ों की बात करे तो बीते तीन सालों में आई बाढ़ से करीब 59 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। जिससे करीब 11 करोड़ से अधिक लोग प्रभावित हुए है। लोकसभा में पेश हुए आंकड़ों के अनुसार 2018 से 2020 के बीच 59,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ है। जिनमें किसानों की फसल, सार्वजनिक संपत्ती, सरकारी संपत्ती और घरों को नुकसान हुआ है। देश में सबसे ज्यादा नुकसान साल 2018 में हुआ था, जिसमें करीब 21,850 करोड़ की संपत्ति बह गई थी। इसके बाद साल 2019 में 15,864 करोड़ का नुकसान रहा।
सबसे ज्यादा नुकसान कर्नाटक में
बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाला राज्य कर्नाटक है। कर्नाटक में देशभर में हुए नुकसान का एक चौथाई नुकसान हुआ है। कर्नाटक को करीब 14,450 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। जोकि अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। कर्नाटक के बाद राजस्थान बाढ़ से नुकसान उठाने वाला दूसरा राज्य है। राजस्थान में बीते तीन सालों में करीब 9,043 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। राजस्थान में सबसे ज्यादा नुकसान साल 2018 में हुआ था, इसके बाद असम में 8.04 हजार करोड़ का नुकसान, आंध्र प्रदेश में 5.3 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था।
तीन सालों में 6 हज़ार की मौत
बाढ़ से करोड़ों का नुकसान उठाने के साथ साथ करीब 6 हजार लोगों की मौत भी हो चुकी है। साल 2018 में बाढ़ से करीब 1,839 लोगों की मौत हुई थी। वही साल 2019 में 2,754 और साल 2020 में 1,365 लोगों की मौत हो चुकी है।