नई दिल्ली। व्यापार, कोई नया Guru Pushya Yoga काम शुरू करने या खरीदारी के लिए आज का दिन बेहद शुभ होने वाला है यदि आप भी ऐसा ही कुछ सोच रहे हैं तो आज का मौका हाथ से बिल्कुल न जानें दें। जी आप सोच रहे होंगे ऐसा क्यों। तो हम आपको बता दें आज 25 अगस्त गुरूवार का दिन बेहद खास है। जी हां जानकारों की मानें तो आज का दिन कई महासंयोगों के साथ पुष्य नक्षत्र लेकर आया है। साथ ही आज गुरूवार का दिन होने के कारण बन रहा गुरू पुष्य का योग इसे और अधिक खास बना रहा है। पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार यह योग गुरूचार शाम 5 बजे तक रहेगा।
आपको बता दें ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति पुष्य नक्षत्र के स्वामी माने गए हैं। ऐसे में यदि आप भी अगर आप भी आने वाले दिनों में
कोई शुभ काम या खरीदारी करने की सोच रहे हैं तो आपको बता दें इसके लिए सबसे शुभ माना जाने वाला गुरू पुष्य योग खास है। आपको बता दें ये योग ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 25 अगस्त यानि गुरूवार को गुरू पुष्य का संयोग बन रहा है। आपको बता दें आज गुरूवार को बना ये योग 1500 वर्षों बाद आया है। जिसमें गुरू पुष्य के बाद 10 महायोगों का विशेष योग बन रहा है।
क्या है ये योग –
ज्योतिषाचार्यों की मानें तो 25 अगस्त गुरुवार के दिन 10 महायोग के साथ गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग 1500 वर्षों बाद दोबारा बन रहा है। गुरु-पुष्य नक्षत्र के संयोग पर शुभ कार्य की शुरुआत करना और नई चीजों की खरीदारी करना grah nakshatra in hindi News, अत्यंत ही शुभ फलदायी होता है। साल में ऐसा दो या तीन बार ही मौका आता है जब गुरू-पुष्य योग बनता है।
इन 5 ग्रहों की स्थिति के कारण बन रहा खास योग –
ज्योतिषीय गणना के अनुसार 25 अगस्त को गुरु.पुष्य नक्षत्र के संयोग के दिन सूर्य सिंह राशिए गुरु मीन राशि में, शनि मकर राशि में, बुध कन्या राशि में और चंद्रमा कर्क राशि में रहेंगे। ये सभी 5 ग्रह इस दिन स्वंय की राशि में मौजूद रहेंगे जोकि बहुत ही शुभ संयोग है। गुरु.पुष्य नक्षत्र के दिन शनि और गुरु दोनों ग्रह खास तरह का योग भी बना रहे हैं क्योंकि दोनों ग्रह स्वराशि में होने के साथ शनि ग्रह पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं और पुष्य नक्षत्र के देवता गुरु ग्रह हैं। शुभ ग्रहों का ऐसा संयोग कई सदियों के बाद बन रहा है।
5 ग्रहों के संयोग के साथ इस दिन सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि और वरियान नाम के तीन बड़े और शुभ योग के साथ 10 योग भी बन रहे हैं। इन योगों में है शुभकर्तरी, वरिष्ठ, भास्कर, उभयचरी, हर्ष, सरल और विमल नाम जैसे राजयोग शामिल हैं। ऐसे में दिवाली से दो महीने पहले बने गुरु – पुष्य संयोग में खरीदारी और शुभ कार्य की शुरुआत करना शुभ अवसर है।
ऐसी धार्मिक मान्यताएं हैं कि गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ने के कारण इस महत्व काफी बढ़ जाता है। इस शुभ योग में सोना और सोने से बने अभूषण की खरीदारी करना व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि के द्वार खोलती है। ज्योतिषाचार्य की मानें तो जिस प्रकार चातुर्मास में भगवान विष्णु की पूजा और आराधना श्रेष्ठ मानते हैं उसी तरह गुरु-पुष्य नक्षत्र में खरीदारी करना बहुत ही बेहद शुभ माना गया है।
पुष्य नक्षत्र क्यों है खास, क्या है इसका महत्व
आपने अक्सर गुरू पुष्य नक्षत्र की बारे में सुना होगा। पर क्या आपने कभी सोचा है इसे इतना खास क्यों मानते हैं। तो आपको बता दें बृहस्पति देव का जन्म इसी नक्षत्र में हुआ था। तैत्रीय ब्राह्मण में कहा गया है कि बृहस्पतिं प्रथमं जायमानः तिष्यं नक्षत्रं अभिसं बभूव। यानि नारदपुराण के अनुसार इस नक्षत्र में जन्मा जातक महान कर्म करने वाला, बलवान, कृपालु, धार्मिक, धनी, विविध कलाओं का ज्ञाता, दयालु और सत्यवादी होता है। आरंभ काल से ही इस नक्षत्र में किये गये सभी कर्म शुभ फलदाई कहे गये हैं किन्तु मां पार्वती विवाह के समय शिव से मिले श्राप के परिणामस्वरुप पाणिग्रहण संस्कार के लिए इस नक्षत्र को वर्जित मानते हैं।
गुरु पुष्य योग
25 अगस्त को गुरु पुष्य योग सूर्योदय से शाम के 4 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। गुरु पुष्य योग धन और समृद्धि के लिए बहुत खास माना जाता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग
25 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग भी सूर्योदय से लेकर शाम के 4 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग का संबंध मां लक्ष्मी से होता है।
अमृत सिद्धि योग
25 अगस्त को गुरु पुष्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ही अमृत सिद्धि योग भी है। मान्यता है कि इस शुभ योग में की गई कोई भी पूजापाठ, अनुष्ठान या फिर अन्य शुभ कार्य भविष्य में शुभ फल प्रदान करते हैं।
चंद्रमा रहेंगे अपनी राशि में
इस दिन चंद्रमा का स्वराशि कर्क में रहना भी बहुत अच्छा माना जा रहा है। चंद्रमा का संबंध भी मां लक्ष्मी से होता है और उन्हें मां लक्ष्मी का भाई कहा जाता है। चंद्रमा का अपनी राशि में होना धन समृद्धि की दृष्टि से शुभ प्रभाव देने वाला माना जाता है।
खास होते हैं इस योग में जन्में लोग –
हमारे धर्म शास्त्रों में इस योग को बेहद खास माना गया है। नारदपुराण में दिए गए उल्लेख के अनुसार गुरु पुष्य योग में जन्मा व्यक्ति महान कर्म करने वाला, बलवान, कृपालु, धार्मिक, धनी, कई कलाओं का ज्ञाता, दयालु और सत्यवादी होता है। इस नक्षत्र में कई शुभ कार्यों को करना लाभकारी होता है।
पुष्य नक्षत्र में भूलकर भी न करें ये काम –
ये तो सभी जानते हैं कि पुष्य नक्षत्र में शुभ काम किया जाता है। पर इसी के साथ ये भी जान लें कि इस नक्षत्र में पाणिग्रहण संस्कार यानि विवाह कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए। वो इसलिए क्योंकि इस नक्षत्र में मां पार्वती के विवाह के समय शिव से मिले श्राप के कारण पाणिग्रहण संस्कार के लिए इस नक्षत्र को वर्जित माना गया है।
भगवान विष्णु की पूजा का है खास दिन
आज यानि गुरू पुष्य नक्षत्र का दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद खास होता है। गुरु पुष्य योग में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस योग में यदि कोई भक्त सच्चे मन से श्रीहरि को प्रसन्न करता है तो उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं। विष्णु भगवान की पूजा से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। मनुष्य के जीवन में ऐसी कई समस्याएं हैं जैसे विवाह न होना। आर्थिक समस्या का होना और मानसिक शांति ऐसे में यदि गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन की कई समस्याओं का समाधान होता है।
व्रत करने से बढ़ती है घर में सुख.समृद्धि
ऐसा माना जाता है कि इस दिन यानि गुरु पुष्य योग में गुरू का शुरू करें। इसके बाद लगातार 7 दिन तक गुरूवार का व्रत करने से घर की अशांति और दोषों से मुक्ति मिलती है। ऐसा भी कहा माना जाता है कि गुरुवार का व्रत करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख.समृद्धि आती है।
पूजा विधि –
गुरु पुष्य योग के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन सुबह स्नान आदि करके पूजा स्थल पर बैठें। इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा का गंगा जल से अभिषेक करें। उसके बाद पूजा की शुरुआत. ऊं नमो नारायणाय . मंत्र के जप के साथ करें। इस मंत्र को कम से कम 108 बार जपें। इसके जपने से घर में सुख.शांति आती है। अंत में आरती एवं चालीसा का पाठ करें। अब प्रसाद वितरण करें।
आज का पंचांग
भाद्रपद – कृष्ण पक्ष. त्रयोदशी तिथि . गुरुवार
नक्षत्र – पुष्य नक्षत्र 16ः52 तक
महत्वपूर्ण योग- वरीयान योग
चन्द्रमा का कर्क राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त – सूर्य उदय से 16ः15 बजे तक
राहु काल – 02ः30 बजे से 03ः32 बजे तक
नोट : इस लेख में दिए गए तत्व सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। इन पर अमल करने के पहले विशेषज्ञ की सलाह ले लें।