नई दिल्ली। संतान की दीर्घायु के Hal Shashthi 2022 लिए रखा जाने वाला hindi news हल षष्ठी व्रत आज 17 अगस्त को पूरे देश में mp hindi news मनाया जा रहा है। भादौ का महीना यानि त्योहारों की भरमार। इस महीने का सबसे खास त्योहार रक्षाबंधन बीत चुका है। इसके बाद आज संतान की प्राप्ति और दीर्घायु के लिए खास माने जाने वाला खास त्योहार हलषष्ठी व्रत किया जा रहा है। यह व्रत का मुख्य रूप से संतान की प्राप्ति और उसकी दीर्घायु के लिए किया जाता है। पारंपरिक कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद महीने के दौरान कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हर्ष पर्वत कहा जाता है यह त्योहार इसलिए खास माना जाता है क्योंकि इसमें हल से जुते हुए अनाज का उपयोग नहीं किया जाता। इस कारण से हल षष्टि व्रत कहा जाता है।
भगवान बलराम की जयंती भी इस दिन –
इस दिन भगवान बलराम की जयंती भी है यानी Hal Shashthi 2022 : इस दिन भगवान बलराम का जन्म उत्सव भी मनाया जाता है। जो कृष्ण के बड़े भाई हैं। भगवान बलराम के जन्म को मनाने वाले त्यौहार के लिए अलग.अलग स्थानों पर अलग-अलग नाम हैं। राजस्थान में इसे चंद्र शास्त्री के नाम से जाना जाता है। तो वहीं गुजरात में इस त्यौहार को रंजन छठ भी कहा जाता है। तो हीे इसे बलदेव छठ कहा जाता है।
आपको बता दें माता देवकी और वासुदेव जी की सांतवीं संतान के रूप में भगवान श्री बलराम को अधिशेष के अवतार के रूप में पूजा जाता है। जिस नागशेष पर भगवान विष्णु विश्राम करते हैं। हलषष्ठी व्रत को हरछठ ललई छठ भी कहा जाता है। इस साल हलषष्ठी व्रत मंगलवार 17 अगस्त को मनाया जाएगा। यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के भाई दाऊ की जयंती के रूप में मनाया जाता है। आइए जानते हैं इस व्रत का शुभ मुहूर्त, व्रत, नियम
हलषष्ठी व्रत शुभ मुहूर्त –
कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि प्रारंभ 16 अगस्त मंगलवार रात 8ः19 से
कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि समाप्त 17 अगस्त बुधवार रात 9ः21 पर
आपको बता दें किसी भी व्रत को उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है। इसलिए हलषष्ठी व्रत 18 अगस्त को मनाई जाएगी।
षष्ठी व्रत का महत्व –
हलषष्ठी भगवान बलराम को अलग-अलग नाम से जानते हैं। जैसे हलयुध, बलदेव, बलभद्र। क्योंकि मूसल, फावड़ा और हल भगवान बलराम के मुख्य उपकरण माने जाते थे। इसलिए किसान भाइयों द्वारा इस दिन भरपूर फसल के लिए इन उपकरणों की पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन हल से जुती हुई चीजों का सेवन निषेध माना जाता है। यानी केवल बिना हल से जुते अनाज जैसे महुआ, मक्का आदि का उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही पसाई या मोरधन के चावल व्रत में उपयोग किए जाते हैं। इस दिन व्रत रखकर महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए कामना करती हैं। इतना ही नहीं जिन दंपत्तियों की संतान नहीं होती वे संतान प्राप्ति के लिए ये व्रत करे।
पूजन विधि –
हल षष्ठी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद एक पीला वस्त्र चौकी पर विचार कर श्री कृष्ण बलराम राम बलराम जी की फोटो या प्रतिता रखें। बलराम जी की प्रतिमा पर चंदन का Hal Shashthi 2022 : तिलक पुष्प अर्पित करें। भगवान बलराम जी का ध्यान करके उन्हें प्रणाम करें। भगवान विष्णु जी की आरती के साथ पूजा संपन्न करें। भगवान श्री कृष्ण के भाई बलराम की शक्ति पूजा का भी विधान है। संभवत प्रतीकात्मक बनाकर उसका पूजन करें।
हलषष्ठी व्रत के नियम –
- हल षष्ठी के दिन बलराम जी के शस्त्र की पूजा की जाती है। इस दिन हल से जुती वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन महिलाएं बिना हल से जुते या तालाब में उगी वस्तुओं और चावल का सेवन करती हैं।
- इस दिन गाय के दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन नहीं किया जाता। बल्कि भैंस के दूध, दही का उपयोग व्रत में फलाहारी के रूप में करना चाहिए।