Atal Bihari Vajpayee: जनसंघ के संथापकों में से एक और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज चौथी पुण्यतिथि है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल का आज के ही दिन साल 2018 में दुनिया को अलविदा कह दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी भारत के तीन बार प्रधानमंत्री रह चुके है। वह एक पत्रकार के साथ साथ एक अच्छे कवि भी थे। उनके पिता ग्वालियर रियासत में शिक्षक थे। अटल जी मूल रूप से यूपी के आगला जिले के रहने वाले थे।
शादी होती तो होते पाकिस्तान के दामाद
अटल बिहारी वाजपेयी ने वैसे तो शादी नहीं की, लेकिन अगर वह शादी करते तो पाकिस्तान के दामाद होते। दरअसल, उनकी शादी के प्रस्ताव को लेकर एक किस्सा है। बात है। 16 मार्च 1999 की। जब अटल जी प्रधानमंत्री थे। अटलजी ने पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की पहल की थी। उनकी पहल पर दोनों देशों के बीच अमृतसर से लाहौर के बीच बस सेवा शुरू की गई थी। इसी बस में वे खुद बैठकर लाहौर तक गए थे। पाकिस्तान में उनका जोरदार स्वागत हुआ। जब वहां के गवर्नर हाउस में भाषण दे रहे थे, तब पाकिस्तान की एक महिला पत्रकार के सवाल पर सन्नाटा छा गया। महिला पत्रकार ने अटल बिहारी से पूछा कि उन्होंने अभी तक शादी क्यों नहीं की है। मैं आपसे शादी करना चाहती हूं, लेकिन एक शर्त है कि आप मुंह दिखाई में मुझे कश्मीर देंगे। महिला पत्रकार का सवाल सुनकर अटलजी हंसने लगे। उन्होंने भी पलटकर महिला पत्रकार से कहा कि मैं भी शादी के लिए तैयार हूं लेकिन मेरी भी एक शर्त हैं। मुझे दहेज में पूरा पाकिस्तान चाहिए। अटलजी के इस जबाव के बाद सभी हंसने लगे।
मनमोहन को इस्तीफा देने से रोका था
अटलजी का एक किस्सा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी जुड़ा है। 1991 में केंद्र में पीवी नरसिंहराव की सरकार के दौरान डॉ. मनमहोन सिंह वित्त मंत्री थे। तब अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थे। मनमोहन ने अपना बजट भाषण दिया। अटलजी ने अपने भाषण में वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा पेश किए गए बजट की जमकर आलोचना की। इस आलोचना से मनमोहन सिंह इतने दुखी हो गए कि प्रधानमंत्री नरसिंह राव को इसत्फी देने की पेशकश कर दी। तभी राव ने अटलजी को फोन किया और पूरी बताई। अटल बिहारी तभी मनमोहन सिंह से मुलाकात करने पहुंचे। वायजेपी ने मनमोहन सिंह से कहा कि आपका भाषण अच्छा था। मैंने सिर्फ राजनीतिक आलोचना की है, उसे आप व्यक्तिगत ना लें। इसके बाद डॉ मनमोहन सिंह मान गए और इस्तीफा देने का विचार बदल दिया।