Talaq-E-Hasan : देश में तीन तलाक कानून को खत्म करने के बाद से मामले अब कम आने लगे है। तीन तलाक कानून को खत्म करने के लिए देशभर की मुस्मिल महिलाओं ने समर्थन किया था। देश में तीन तलाक का कानून तो खत्म हो गया, लेकिन अब तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) को खत्म करने के लिए मुस्लिम महिलाओं ने आवाज उठाई है। तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) को खत्म करने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि तीन तलाक की तरह तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) को भी खत्म किया जाए। तो आइए जानते है क्या है तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan)?
क्या है तलाक-ए-हसन?
तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) भी तीन तलाक की तरह तलाक देने का एक तरीका है। तीन तलाक में मर्द तीन बार तलाक बोलकर रिशता तोड़ देता है, लेकिन तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) में एक शादीशुदा मर्द तीन महीने में तीन बार एक निश्चित अंतराल के बाद रिश्ता खत्म कर देता है। तलाक का यह तरीक भी तीन तलाक की से अलग है। इसमें एक ही बार में तीन बार तलाक नहीं बोला जाता है। तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) में शौहर अपनी बीवी को तीन महीने में एक-एक कर तीन बार तलाक बोलता है। तीन महीने पूरे होने और आखिरी बार तलाक बोलने पर दोनों के बीच रिश्ता खत्म हो जाता है।
तलाक-ए-हसन की प्रक्रिया
तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) में शौहर अपनी बीबी से तीन बार तलाक तो बोलता है, लेकिन इस दौरान एक महीने का फासला होता है। यानी एक तलाक बोलने के एक महीने बाद दूसरी बार तलाक बोला जाता है और उसके एक महीने बाद तीसरी बार तलाक बोला जाता है। इसके बाद शौहर तीसरी बार तलाक बोलने के बाद रिश्ता खत्म कर देता है। लेकिन अगर इस बीच शौहर और बीवी में सुलह हो जाती है। या दोनों के बीच संबंध बनने लगते है तो तलाक को रद्द कर दिया जाता है। तलाक-ए-हसन की प्रक्रिया तब ही की जाती है जब बीवी को मासिक धर्म नहीं हो रहा हो।
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला
तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि तलाक-ए-हसन (Talaq-E-Hasan) को अनुच्छेद 14, 15 का उल्लंघन करने के लिए शून्य और असंवैधानिक घोषित किया जाए। तीन तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत (Talaq-E-Hasan) की तरह यह भी एकतरफा है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 में तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया था।