Toll Tax Information:जब भी कभी आप राष्ट्रीय राजमार्ग या नेशनल हाईवे से गुजरते होंगे तब टोल टैक्स से तो आप गुजरते ही होंगे और कई बार आपने ऐसे भरा भी होगा। लेकिन आपने सोचा है कि आखिर टोल टैक्स (Toll Tax) किस से कितना लेना है। यह कौन तय करता है। बिना टोल टैक्स दिया आखिर क्यों आगे नहीं जाने दिया जाता है। जाने टोल टैक्स से जुड़े हुए सारे नियाम –
जानें क्या होता है टोल टैक्स ?
What is Toll Tax :हाइवे पर जो टोल टैक्स बने रहते है। उन्हें आम बोलचाल कि भाषा में टोल कहते है। यह एक तरह के टैक्स की ही तरह होता है। जिसे बेहतर सुविधाओं के लिए लिया जाता है। यह टैक्स इंटरस्टेट एक्सप्रेसवे, नेशनल या स्टेट हाईवे पार करते हुए आपको चुकाना होता है। टोल टैक्स का मैनेजमेंट NHAI यानि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया करता है। NHAI के नियमानुसार दो टोल बूथ के बीच की दूरी आमतौर पर 60 किमी रखी जाती है।
इसलिए लिया जाता है टोल टैक्स
टोल टैक्स का इस्तेमाल सड़कों के बेहतर रखरखाव और निर्माण इत्यादि में किया जाता है। टोल टैक्स का इस्तेमाल सरकार हाईवे और एक्सप्रेसवे के निर्माण में किया जाता है।
टोल टैक्स का रेट कैसे तय होता है
How Toll Tax Calculated : टोल टैक्स के रेट को तय करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखा जाता है। जिसमे वाहन की कीमत ,वाहन के इंजन की क्षमता ,वाहन में कितने लोग बैठने की क्षमता है। इन सब बातों का ध्यान रखा जाता है। हाईवे पर लगभग 60 किमी की दूरी पर टोल टैक्स बनाये जाते है। लेकिन उनके कम या ज्यादा होने पर भी वसूले जाने वाले टोल टैक्स के रेट में बदलाव किया जाता है। टोल टैक्स में सरकार समय समय पर बदलाव भी करती रहती है। अभी हालहिं में इसी साल अप्रैल महीने में सरकार ने टोल टैक्स के दामों में वृद्धि की थी। जिसके बाद हल्के वाहनों के टोल टैक्स में 10 रुपये और भारी वाहनों के टोल टैक्स में 65 रुपये की वृद्धि देखने को मिली थी।
क्या रोड टैक्स और टोल टैक्स में क्या है अंतर
जब भी हम कोई वाहन खरीदते है तो उसमे रोड टैक्स हमें देना होता है। इसके बाद भी टोल टैक्स हमें देना होता है। यह सवाल तो मन में उठता ही होगा की आखिर इनमे क्या अंतर है। दरअसल रोड टैक्स और टोल टैक्स दोनों अलग होते हैं। रोड टैक्स RTO द्वारा लिया जाता है जबकि जब आप एक ही राज्य में अलग-अलग सड़कों का इस्तेमाल करते है तब आपको टोल टैक्स चुकाना होता है।