भारत में ऐसे कई रहस्य हैं जिनको जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। कई रहस्य (Ujjain Mahakal Mystery) तो ऐसे हैं जिनके बारे में अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है की आखिर ऐसा क्यों होता है। ऐसा ही एक रहस्य मंदिर का भी है। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर (Ujjain Mahakal Mystery) की। बाबा महाकाल के मंदिर में दर्शन के लिए देशभर से लोग दर्शन के लिए आते है। देश की तमाम हस्तियां जिनमें मंत्री, विधायक, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति मंदिर में माथा टेकते है। लेकिन ये हस्तियां दर्शन करने के बाद रात नहीं रूकती है। क्योंकि इसके पीछे की एक बड़ी वजह हैं जो आपको हैरान कर देगी।
दरअसल, महाकालेश्वर मंदिर (Ujjain Mahakal Mystery) के दर्शन करने के बाद कोई भी बड़ा नेता या मंत्री उज्जैन में नहीं रूकता है। अगर उन्हें रुकना भी होता है तो वह उज्जैन (Ujjain Mahakal Mystery) के बाहर किसी होटल या फिर कहीं और रुकते हैं। क्येांकि जो भी नेता या मंत्री यहां पर रात में विश्राम करता है उसकी सत्ता भी चली जाती है। ऐसे में उज्जैन (Ujjain Mahakal Mystery) में कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति रुकने से डरते है। इसके पीछे एक मान्यता है
क्या है मान्यता
मान्यता है कि जो भी मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्रपति महाकाल बाबा के दर्शन करने के बाद रात गुजारता है तो उसकी कुर्सी चली जाती है। और सत्ता वापसी नहीं होती है। कहा जाता है कि बाबा महाकाल (Ujjain Mahakal Mystery) खुद उज्जैन नगरी के राजा है और ऐसे में उनके दरबार में कोई दूसरा राजा नहीं रूक सकता है। अगर कोई गलती से रुक भी जाता है तो वो अपनी सत्ता में वापस नहीं जा पता हैं। कहा जाता है कि यह मान्यता (Ujjain Mahakal Mystery) राजा भोज के समय से चली आ रही है।
कई नेताओं की जा चुकी है सत्ता
बताया जाता है कि महाकाल बाबा (Ujjain Mahakal Mystery) के दर्शन के बाद किसी नेता को नहीं रुकना चाहिए। अगर कोई नेता रूकता है तो उसकी कुर्सी छीन ली जाती है। इसका खामियाजा एक प्रधानमंत्री भुगत चुके हैं। भारत के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने यह गलती की थी। मोरारजी उज्जैन में बाबा के दर्शन करने के बाद रात रूक गए थे। जिसके बाद दूसरे ही दिन उनकी सत्ता चली गई, उनकी सरकार गिर गई। इतना ही नहीं कर्नाटक के मुख्मंत्री येदियुरप्पा ने भी उज्जैन में रात बिताई थी। इसके बाद उन्हें 20 दिनों के अंदर अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।