Bansal News : सावन का पवित्र महीना चल रहा है। सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना करने के लिए भक्त शिव को सबसे प्रिये बेलपत्र तो जरूर ही चढ़ाते है। धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, बेलपत्र तोड़ने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है। आज हम आपको बताने वाले है बेलपत्र को कब तोड़ना चाहिए और इसे चढाने का नियम क्या है।
कब तोड़ना चाहिए बेलपत्र ?
बेलपत्र को तोड़ने से पहले इन तिथियों को याद कर लीजिये इन तारीखों को ही बेलपत्र को तोडना उत्तम माना जाता है। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि सबसे उत्तम है। बेलपत्र को तोड़ते समय भोलेनाथ का मन में स्मरण करना चाहिए। बेलपात को कभी भी भूल से भी टहनी से नहीं तोडना चाहिए। हमेशा भगवन शिव को बेलपत्र के तीन पत्तियों की डंठल की चढ़ाये जाते है।
क्या है बेलपत्र चढाने का नियम ?
भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए अर्पण करें। बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से भोलेनाथ को अर्पित करें। बेलपत्र को चढ़ते समय इस बात का ज़रूर देखें की बेलपत्र की पत्तियां कटी-फटी न हों ऐसी बेलपत्र को चढ़ाना अशुभ माना जाता है।
क्या है बेलपत्र चढाने का महत्त्व ?
शिव पुराण अनुसार, श्रावण मास में सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है शिवलिंग का बिल्वपत्र से पूजन करने गरीबी दूर होती है और भाग्य उदय होता है बेलपत्र से ने सिर्फ भोलेनाथ बल्कि उनके अंशावतार बजरंगबली भी अति प्रसन्न रहते है।