Parenting Tips : बड़े हों या झूठ बोलना एक आम बात है। कभी हंसी में, कभी भय के चलते, अपनी बात छिपाने के लिए तो कभी अपने से बड़ों को किसी बात पर झूठ बोलता देखकर बच्चे भी इस व्यवहार को अपना लेते हैं। दबे पांव यह उनकी आदत बन जाती है और पेरेंट्स के लिए भी इस आदत को बदलना बड़ी समस्या बनने लगता है। गम्भीर बात ये है कि कई बार जब वह सच बोल रहा होगा तो भी आपके लिए उस पर विश्वास करना मुश्किल होगा।
बच्चे को सच बोलने का मूल्य सिखाना व्यक्तिगत जिम्मेदारी, विश्वास और देखभाल के महत्व को स्थापित करता है लेकिन कई बार बड़े प्रयास के बाद भी बच्चे के झूठ बोलने की आदत को बदल नहीं पाते हैं। विशेषज्ञ की बताई टिप्स से आप बच्चे को इस आदत से बाहर निकाल सकते हैं और उसका पूर्ण मानसिक विकास कर सकते हैं। डॉ सत्यकांत त्रिवेदी (Dr. Satyakant Trivedi) ,विभागाध्यक्ष मनोचिकित्सा विभाग, बंसल अस्पताल भोपाल से जानते हैं कुछ टिप्स
बच्चों के रोल मॉडल बनें
डॉ सत्यकांत त्रिवेदी (Dr. Satyakant Trivedi Psychiatrist in Bhopal) कहते हैं कि बच्चे जब झूठ बोलते हैं तो सबसे पहली बात ये होती है कि वो दूसरों को झूठ बोलते हुए देखते हैं। इसे ऑब्जरवेशन लर्निंग या सोशल लर्निंग कहा जाता है। Parents को सर्वप्रथम स्वयं झूठ बोलने से बचना चाहिए।पेरेंट्स बच्चों के लिए रोल मॉडल बनें ।
विवेकवान बनते हुए बच्चों की गलती पर ऐसे रियेक्ट करें
यदि बच्चा कभी कोई गलती करे तो उसे सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझायें। पेरेंट्स की इस बात से बच्चे को हमेशा ये विश्वास रहेगा कि किसी भी परेशानी में पेरेंट्स उसके साथ हैं और वो झूठ बोलने से बचेगा।
पारदर्शिता का बनाएं नियम
अपनी फेमिली में एक नियम बनाएं जिसमें सच बोलना और पारदर्शी रहना भी शामिल होना चाहिए ताकि बच्चे समझें कि आप सच्चाई को महत्व देते हैं। बच्चों से झूठ से होने वाले नुकसान के बारे में बात करें। बच्चों को सच्चाई का महत्व बताएं।
विजिलेंस का भी है महत्व
बच्चों के मन में यह होना चाहिए कि उनके क्रियाकलाप पर पेरेंट्स निगरानी भी रखते हैं ताकि वे अनुशासन में भी रहना सीखें।