Porn Movies Mental Health : 19 साल के रोहित ने 3 साल पहले अपने दोस्तों के साथ पहली बार मोबाइल में पोर्न देखी,उसके कुछ महीनों बाद घरवालों ने ही बर्थडे गिफ्ट के रूप में उन्हें स्मार्ट फ़ोन थमा दिया ,कुछ दिनों बाद ही उन्होंने पोर्न वेबसाइट पर सर्फिंग शुरू कर दी और अब उन्हें इस कदर लत लगी की पढाई लिखाई छोड़ पूरे समय porn देखने लगे ,न देखने पर मन में घबराहट बेचैनी से रहने लगी,कुंठा निराशा का भाव घर कर गया ।
32 साल के प्रकाश जो की पेशे से एक इंजीनियर हैं, पढने लिखने के बेहद बढ़िया थे। कॉलेज के जमाने से पोर्न की ऐसी लत में फसे कि बड़ी मुश्किल से अपने पेपर निकाल पाए ,लेकिन अब कॉम्पीटिशन एग्जाम की तैयारी करना मुश्किल था। पूरे समय पोर्न दिखने का विचार आना ,नियंत्रण न कर पाना। खुद को नुक्सान पहुँचाने के ख्याल आनसे घिरे रहते हैं।
किशोर में पॉर्न एडिक्शन
इंटरनेट पर अश्लीलता की बढ़ती पहुंच के कारण, बच्चों और किशोरावस्था में पहले के मुकाबले अश्लील की लत विकसित करने के उच्च जोखिम है। पहले अश्लील सामग्री पठनीय साधन के रूप में उपलब्ध हुआ करती थी किन्तु आज यह इन्टरनेट के कारण आप से एल क्लीक दूरी पर है। पोर्न की लत बच्चों और किशोरों के लिए विशेष रूप से चिंताजंक है, क्योंकि उनके दिमाग अभी भी विकसित हो रहे होते हैं। यदि समय रहते इस पर ध्यान न दिया जाये तो यह आजीवन मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं एवं व्यक्तित्व में समस्याएं पैदा कर सकता है ।
क्यों बढ़ रहा है पोर्न एडिक्शन
– बेहद सस्ते दरों पर इन्टरनेट की उपलब्धता।
– हाई स्पीड इन्टरनेट की उपलब्धता से एक बटन के क्लिक के साथ सामग्री की उपलब्धता।
– हर हाथ में स्मार्ट फ़ोन की उपलब्धता।
– यौन शिक्षा का अभाव होने के कारण सेक्स सम्बन्धी सवालों का हल ढूँढने के कोशिश।
– सोशल मीडिया पर लिंक्स का परोसा जाना।
– इस मुद्दे को सरकारों द्वारा गंभीरता से न लिया जाना ,कोई नियम कानून या फ़िल्टर होना।
– अभिभावकों का भी इस बात पर ढुलमुल रवैया होना विशेष तौर पर लड़कों के ऐसे क़दमों को देखकर भी नज़रंदाज़ करना।
आंकड़े
– एक अध्ययन के अनुसार
– 10 में से 8 युवा 18 वर्ष की उम्र से पहले पोर्नोग्राफी देख लेते हैं।
– लगभग 80% युवा अपनी ऑनलाइन गतिविधियों को साझा नहीं करते।
– 15से 19 साल की उम्र में, पोर्न लत से ग्रसित होने की सर्वाधिक सम्भावना रहती है।
नुकसान पर क्या कहते हैं मनोचिकित्सक
सीनियर कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट डॉ सत्यकांत त्रिवेदी (Psychiatrist in Bhopal) कहते हैं कि पोर्नोग्राफ़ी को देखने से किशोरों में नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं, जो उनके मनोवैज्ञानिक और शारीरिक विकास दोनों को प्रभावित करते है। जैसे एकाग्रता और याददाश्त में भरी कमी आ जाना, जोखिम वाले व्यवहार में वृद्धि, महिलाओं के प्रति आक्रामकता ,अश्लील छींटाकशी करने लगना, यौन हिंसा का सामान्य घटना समझने लगना, स्वस्थ संबंध बनाने की क्षमता में कमी, सेक्स की लत लगना , शराब या अन्य नशीली दवाओं का इस्तेमाल करने की संभावना का बढ़ जाना, हताशा कुंठा और निराश का भाव आ जाना, आत्महत्या के विचार आना।
माता पिता कब हो जाएँ सतर्क
– आपको कंप्यूटर पर अश्लील विडियो मिलते हैं।
– जब आप कमरे में प्रवेश करते हैं, बच्चा घबराकर मोबाइल/कंप्यूटर बंद कर देता है या स्क्रीन बदल देता है। मोबाइल पर हर फंक्शन पास वर्ड लगा कर रखता है।
– कंप्यूटर देखते समय अपने कमरे को बंद कर रखता है।
– बच्चा कंप्यूटर/मोबाइल से इन्टरनेट हिस्ट्री को हटा देता है।
– बच्चा रात में बहुत देर तक ऑनलाइन रहता है।
– बच्चा सब के सो जाने के बाद ऑनलाइन गतिविधियाँ शुरू करता है।
“पिछले 5 सालों में पोर्न एडिक्शन के मामले काफी बढ़ रहे हैं। जागरूकता बढ़ रही है लोग इसका इलाज़ लेने के लिए लिए आ रहे हैं। पोर्न एडिक्शन युवाओं का सामाजिक ,व्यक्तिगत जीवन अस्त व्यस्त कर देता है। ऐसे केसेस में दवाओं के साथ-साथ काउन्सलिंग सेशन भी देना होता है ।“