लखनऊ।‘India Innovation Index-2021’उत्तर प्रदेश ने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए ‘भारत नवाचार सूचकांक-2021’ में दो पायदान ऊपर चढ़कर सातवां स्थान हासिल किया है। नीति आयोग के तीसरे नवाचार सूचकांक में 17 प्रमुख राज्यों की श्रेणी में उत्तर प्रदेश को सातवें स्थान पर रखा गया है। उत्तर प्रदेश का 2020 में इस सूची में नौवां स्थान था।
भारत नवाचार सूचकांक के तीसरे संस्करण को नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने मुख्य कार्यपालक अधिकारी परमेश्वरन अय्यर की उपस्थिति में बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में जारी किया। इस सूचकांक को वैश्विक नवाचार सूचकांक की तर्ज पर विकसित किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने कारोबारी माहौल, उच्च क्लस्टर ताकत और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के प्रतिशत के रूप में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा हासिल किया है।
‘इन्वेस्ट यूपी’ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अभिषेक प्रकाश ने कहा, ‘‘‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ कार्यक्रमों की सफलता के लिए नवाचार जनित उद्यमशीलता अत्यंत महत्वपूर्ण है और हम एक नवाचार अनुकूल वातावरण बनाने के लिए कृतसंकल्प हैं।’’ उन्होंने बताया कि भारत नवाचार सूचकांक में 6.18 के अंक के साथ उत्तर प्रदेश ने ज्ञान प्रसार में राष्ट्रीय औसत 5.81 से अधिक का अंक हासिल किया है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि सूचकांक का तीसरा संस्करण देश में नवाचार विश्लेषण के दायरे को मजबूत करता है। पिछले संस्करणों में 36 संकेतकों के आधार पर विश्लेषण किया गया था, लेकिन इस बार 66 संकेतकों का इस्तेमाल किया गया।
एक सरकारी बयान के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बृहस्पतिवार को उनके सरकारी आवास पर नीति आयोग के नवनियुक्त उपाध्यक्ष सुमन बेरी, सीईओ परमेश्वरन अय्यर तथा सलाहकार ने भेंट की। देश की शीर्ष नीति नियोजक संस्था के शीर्ष पदाधिकारियों के साथ मुख्यमंत्री की इस भेंट वार्ता के दौरान उत्तर प्रदेश की विभिन्न विकास नीतियों और परियोजनाओं तथा उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा हुई।
नीति आयोग के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को राज्य के स्थायी और समग्र विकास कार्यों में सहयोग के लिए आयोग की एक टीम की मौजूदगी के बारे में जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य के समग्र विकास के लिए हमने 10 सेक्टर बनाए हैं। प्रत्येक सेक्टर की जिम्मेदारी अपर मुख्य सचिव स्तर के अनुभवी अधिकारी को दी गई है। हर सेक्टर के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक कार्ययोजना तय की गई है। कार्ययोजना के सफल क्रियान्वयन के लिए सतत निगरानी भी की जा रही है।