President Body Guard: भारत को नया राष्ट्रपति मिल चुका है। द्रोपदी मुर्मु भारतीय गणराज्य की 15वीं पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति चुनी गई है। देश का राष्ट्रपति (President Body Guard) देश का पहला नागरिक होता है। जाहिर सी बात है कि देश के पहले नागरिक की सुरक्षा (President Body Guard) भी तगड़ी होती होगी। आपने गणतंत्र दिवस, 15 अगस्त के मौके पर राष्ट्रपति की सुरक्षा (President Body Guard) देखी ही होगी। राष्ट्रपति की सुरक्षा में लगे उनके अंगरक्षक काफी खास और कई आधुनिक सुविधाओं से लैंस होते है।
राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद होता है, जिसके चलते राष्ट्रपति (President Body Guard) को कमांडर-इन-चीफ का भी दर्जा दिया जाता है। राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड्स (President Body Guard) गहरे चटक रंग की यूनिफार्म और साफा पहनते है। राष्ट्रपति की सुरक्षा (President Body Guard) में तैनात इन बॉडीगार्डस को खास तरीके से चुना जाता है। जिन्हें अंग्रेजी में पीबीजी कहते है।
क्या होते है पीबीजी
राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड को PBG कहा जाता है। PBG का राष्ट्रपति की सिक्योरिटी (President Body Guard) का जिम्मा संभालना होता है। यह भारतीय सेना की एक घुड़सवार फौज रेजिमेंट है। यह यूनिट राष्ट्रपति के आधिकारिक कार्यक्रमों का भी हिस्सा रहती है। राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात जवान अच्छी कद काठी वाले होते हैं। इनका चयन भी कई मानकों के आधार पर किया जाता है।
पीबीजी का इतिहास?
राष्ट्रपति के बॉडीगार्ड्स (President Body Guard) का इतिहास करीब 250 साल पुराना है। जिसका गठन 1773 में अंग्रेस गर्वनर जनरल वॉरेन हेस्टिंगन ने अपनी सुरक्षा के लिए 50 घुड़सवार सैनिकों (President Body Guard) के साथ बनारस में किया था। उन्हें ‘मुगल हॉर्स’ कहा जाता था। मुगल हॉर्स का गठन 1760 में सरदार मिर्जा शाहबाज़ खान और सरदार खान तार बेग ने किया था। उस समय बनारस के राजा चैत सिंह ने इस यूनिट के लिए 50 घुड़सवार सैनिक (President Body Guard) दिए थे। इस यूनिट में घुड़सवार सैनिकों (President Body Guard) की कुल संख्या 100 थी। इस यूनिट के पहले कमांडर ईस्ट इंडिय़ा कंपनी के कैप्टन स्वीनी टून थे। 1784 से 1859 तक इसे वर्नर जनरल बॉडी गार्ड (President Body Guard) कहा जाता था, 1859 से 1944 में उनका टाइटल बदलकर 44th डिविजनल रिकॉनेसां स्क्वाड्रन कर दिया गया। इसके दो साल बाद 1946 में ये वापस से गवर्नर जनरल बॉडी गार्ड (President Body Guard) कहलाने लगे। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो इस टुकड़ी को दो भागों में बांट दिया गया। इनमें एक भारत में रही और दूसरी पाकिस्तान में। 1950 में इन्हें मौजूदा नाम मिला जो President’s Bodyguard कहलाता है।
क्यों खास है यह टुकड़ी?
इस घुड़सवार टुकड़ी को 61 कैवेलरी के नाम से भी जाना जाता है। यह दुनिया में बची आखिरी घुड़सवार अंगरक्षक (President Body Guard) टुकड़ी में से एक है। इसके सभी अंगरक्षक पूरी तरह से ट्रेंड होते हैं। राष्ट्रपति की सुरक्षा (President Body Guard) के अलावा इन्हें परेड और अन्य मौकों पर भी देखा जा सकता है। यह एक रॉयल सेना (President Body Guard) जैसी दिखाई देती है। राष्ट्रपति बॉडी गार्ड्स (President Body Guard) की टुकड़ी में 4 अधिकारी, 20 जेसीओ और 198 सिपाही रहते है। इन्हें प्रेसिडेंट या वाइस प्रेसिडेंट के शपथ ग्रहण के समय, गणतंत्र दिवस की परेड, बीटिंग रिट्रीट, स्टेट हेड या किसी अन्य देश के नेता के आने पर या गार्ड (President Body Guard) चेंजिंग सेरेमनी में देखा जा सकता है। इस सेना का कमांडिंग ऑफिसर हमेशा ब्रिगेडियर या कर्नल रैंक का होता है। उसके नीचे मेजर, कैप्टन, रिसाल्दार और दाफादार होते हैं। सिपाहियों की रैंक ‘नायक’ या ‘सवार’ होती है।