Railway Knowledge : रेलवे का सफर करते हुए आपने भी कई पटरी के बीच खाली जगह तो देखी ही होगी और देखकर मन में ये सवाल तो उठता ही होगा की ये बीच में खाली जगह क्यों छोड़ी जाती है। कभी कभी तो देखकर लगता होगा की इस गैप की वजह से कहीं कोई बड़ा हादसा न हो जाए । अगर आप भी इस खाली जगह का राज़ नहीं जानते तो आज जान जाएंगे और हाँ यदि आपको लगता है कि इससे कोई रेल हादसा हो सकता है तो आप गलत है। इस खाली जगह कि वजह से कोई हादसा नहीं होता है।
रेलवे अपने पुराने अंदाज़ में दिखेगी-
कोरोना के बाद भारतीय रेलवे अब फिर रफ़्तार पकड़ने लगा है। भारतीय रेलवे ने वो दिन भी देखे जब रेल के पहिये थम गए तो कोरोना ने ये स्थिति ला दी थी। कोरोना से पहले किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि विश्व के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में भारतीय रेल (Indian Railways) चौथे स्थान पर है। भारत ही नहीं दुनिया में कोरोना की वजह रेल सेवाएं प्रभावित हुई थी। कई ट्रैन बंद कर दी गई थी सिर्फ कुछ स्पेशल ट्रैन ही शुरू में चालू की थी लेकिन जैसे जैसे परस्थिति सामान्य होती गई ट्रेनों की संख्या में वृद्धि कर दी गई। उम्मीद है की अब रेलवे कुछ दिनों में ही अपने पुराने अंदाज़ में दिखेगी।
जानिए पटरियों के गैप का वैज्ञानिक कारण
अब जब भी यात्रा करते होंगे या कभी रेलवे ट्रैक के पास से गुजरते हुए हर किसी के मन में ये सवाल तो उठता ही होगा आखिर पटरी को सीधे क्यों नहीं जोड़ दिया जाता बहुत काम लोग ही होंगे जो इसके पीछे के विज्ञान को समझते है। पटरियों को जोड़ते वक्त छोड़ दिया जाता है गैप इसके पीछे वैज्ञानिक तकनीकी है जिसे आधार पर गैप छोड़ा जाता है आपने ये भी देखा होगा कि थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पटरियों को फिश प्लेट की मदद से जोड़ा जाता है। जुडी हुई पटरी के बीच में हल्की सी जगह छोड़ देते है जिसके कारण वहां-वहां दो पटरियों के बीच में एक गैप दिखाई देता है। कई लोगों तो लगता है कि ये गैप किसी भूल के वजह से हुआ है और इस भूल कि वजह से कोई बड़ा हादसा न हो जाए लेकिन ऐसा नहीं है। बल्कि हादसे से बचने के लिए ही वो जगह खाली छोड़ी जाती है दरअसल, भीषण गर्मी के समय लोहे से बनी पटरियां भारी-भरकम ट्रेनों के भार से फैलने लगती हैं जिस वजह से गैप को रखा जाता है ताकि जब लोहा अपने अकार में बदलाव करे तो उस गैप में फिट बैठ जाए क्योंकि सर्दियों में ये सिकुड़ जाती है।
यह लोहे का सामान्य व्यवहार है। लोहे के इसी व्यवहार को देखते हुए पटरियों को जोड़ते वक्त एक छोटा-सा गैप छोड़ दिया जाता है ताकि गर्मी के समय में जब ये पटरियां ट्रेन के वजन से फैलें तो इन्हें फैलने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके जिससे कि कोई बड़ा हादसा न हो सके अगर वो जगह नहीं छोड़ी जाएगी तो गर्मी में लोहा फैलने के लिए जगह नहीं मिलेगी तो पटरी उखड सकती है। हालांकि, अब तकनीक धीरे-धीरे और विस्तार कर रही है जिसके कारण इस तरह के गैप को कम किया जा रहा है।रेलवे अब जॉइन्ट्स को वेल्डिंग के जरिए जोड़ रही है। लेकिन पूरी तरह से इन गैप को नहीं भरा गया है थोड़ी-थोड़ी दूरी पर अभी भी खाली जगह दी जाती है।