नई दिल्ली। बदलती दिनचर्या लोगों के Uterine Fibroid स्वास्थ्य पर प्रभाव health news डाल रही है। ऐसे में सबसे women health अधिक समस्या आती lifestyle है महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर। महिलाओं को होने वाली समस्याओं में से एक है यूटेराइन फाइब्रॉयड। पर क्या आप जानते हैं कि इसके लक्षण और उपाय क्या हैं। साथ ही ये आपके शरीर में और क्या-क्या समस्याएं पैदा कर सकती है। यदि नहीं, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि चिकित्सकों के अनुसार इसके होने से आपको क्या-क्या समस्याएं आ सकती हैं।
गर्भाशय के अंदर बनने वाली मांसपेशियों की अनियंत्रित वृद्धि को यूटेराइन फाइब्रॉयड कहते हैं। सामान्य तौर पर हर महिला के गर्भाशय में कुछ ऐसी गांठें मौजूद हो सकती हैं पर इससे उन्हें कोई तकलीफ नहीं होती और इसके कोई लक्षण भी नजर नहीं आते, जिसके आधार पर इसकी जांच कराई जा सके। आमतौर पर फाइब्रॉयड की समस्या प्रसव के समय देखने को मिलते हैं। इस समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हमनें फाइब्रॉयड के लक्षण और इसके इलाज के बारे में चर्चा की बंसल अस्पताल की वरिष्ठ गायनेकोलोजिस्ट डॉ दीप्ति गुप्ता से।
क्या होते हैं फाइब्रॉयड के लक्षण
डॉ दीप्ति गुप्ता के अनुसार पेट के निचले हिस्से या कमर में भारीपन,माहवारी के दौरान तेज दर्द, कई दिनों तक हेवी ब्लीडिंग,माहवारी खत्म होने के बाद बीच में अचानक ब्लीडिंग,सेक्स में दर्द, बार-बार यूरिन का प्रेशर महसूस होना।
फाइब्रॉयड की जांच और उपचार कैसे किया जाता है?
फाइब्रॉयड के गांठों की पहचान एमआरआई, अल्ट्रासाउंड और सीटीस्कैन के जरिये की जा सकती है। इनके साइज और पोजीशन को ध्यान में रखकर उपचार किया जाता है। अगर इसकी वजह से मरीज को किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं हो रही है तो सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। मेनोपॉज के बाद फाइब्रॉइड धीरे-धीरे सिकुड़ कर खत्म हो जाती हैं। डॉ गुप्ता कहती हैं कि पेल्विक एरिया में तेज दर्द और हेवी ब्लीडिंग जैसे लक्षण नजर आने पर हीट्रोस्कोपी, मेयोमेक्टोमी और हेस्ट्रोकॉमी से इनका इलाज़ किया जाता है। इसकी सर्जरी महिला की आयु पर भी निर्भर करती है। कम आयु के मरीजों का लेप्रोस्कोपी या ओपन सर्जरी से ही उपचार किया जा सकता है।