JANNA JAROORI HAI: कुदरती चमत्कारों से दुनिया वाकिफ है कई बार इन्हें देखकर धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर भी हैरान हो जाते हैं।ऐसा ही एक मामलागुजरात राज्य में देकने को मिला है, जिसे देखकर सभी हैरान हैं। ये कोई अजीबोगरीब बीमारी नहीं है बल्कि डॉक्टर्स को नए ब्लड ग्रुप का पता चला है। जी हां, आपने आज तक ब्लड ग्रुप (Blood Groups) A, B, O, AB और उनके पॉजिटिव और नेगेटिव वर्जन के बारे में सुना होगा, लेकिन इस शख्स की रगों में इन सभी से अलग खून दौड़ रहा है। इस शख्स के शरीर में जो खून है, वो खून इन चार ग्रुपों में से किसी का नहीं है और अपने आपमें अलग खून है।
ऐसे में अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इस ब्लड ग्रुप में क्या खास है। साथ ही सवाल ये है कि आखिर इस ब्लड ग्रुप के लोग बाकी लोगों से कैसे अलग होते हैं और इस ब्लड ग्रुप के लोग किसे खून दे सकते हैं और किससे खून ले सकते हैं। तो जानते हैं इस नए ब्लड ग्रुप से जुड़ी खास बात…JANNA JAROORI HAI
क्या खास इस ब्लड ग्रुप में?
सबसे पहले आपको बता दें ये मामला गुजरात का है जहां 65 साल के उम्र के व्यक्ति के शरीर में यह खून पाया गया है।ये ब्लड काफी रेयर है यानी बहुत कम लोगों के शरीर में ऐसा ब्लड ग्रुप पाया जाता है। ये ईएमएम नेगेटिव ब्लड ग्रुप है, जो A, B, O, AB से अलग है और इसे इन किसी में शामिल नहीं किया जा सकता है। इस ग्रुप की खास बात ये है कि अभी तक इस तरह के खून के सिर्फ 9 ही मामले सामने आए हैं यानी दुनिया में सिर्फ 9 लोग ही ऐसे हैं, जिनके शरीर में ये ब्लड ग्रुप है। अब इस केस को दुनिया का दसवां केस माना जा रहा है। इस ब्लड ग्रुप में ईएमएम की मात्रा काफी कम होती है, इसलिए इसे अपने आप में खास माना जाता है JANNA JAROORI HAI।
रिपोर्ट के अनुसार, समर्पण ब्लड डोनेशन सेंटर के डॉक्टर सनमुख जोशी ने कहा कि 65 साल के मरीज का अहमदाबाद में दिल का दौरा पड़ने के बाद इलाज चल रहा था, उसे दिल की सर्जरी के लिए खून की जरूरत थी। हालांकि, अहमदाबाद की एक प्रयोगशाला में उनका ब्लड ग्रुप नहीं पाया गया, तब नमूने सूरत के रक्तदान केंद्र में भेजे गए थे। इसके बाद जांच हुई तो पता चला कि ये सेंपल किसी भी और खून से मेल नहीं खाता है, इसके बाद इन सैंपल को चेक करने के लिए यूएस भेजा गया है।
किसे दे सकते हैं खून?
हालांकि, दुनिया में केवल 10 ऐसे लोग हैं, जिनके खून में EMM हाई-फ्रीक्वेंसी एंटीजन नहीं है, जो उन्हें सामान्य इंसानों से अलग बनाता है। ऐसे अलग ब्लड ग्रुप वाले लोग न तो अपना खून किसी को दे सकते हैं और जरूरत पड़ने पर ना ही किसी से ले सकते हैं। अब इसमें ईएमएम कम होने की वजह से इसे ईएमएम नेगेटिव नाम दिया गया है।