DEHLI : दिल्ली हाइकोर्ट में एक अनोखा मामला दायर हुआ है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यह मामला जिंदा भ्रूण से जुड़ा है। कोर्ट में जिंदा भ्रूण को कैलिफोर्निया एक्सपोर्ट करने के लिये याचिका दाखिल की गई है। इस मामले ने यकिनन लोगो के मन में कई सारे सवाल खड़े कर दिये है। क्या है पूरा मामला आइए जानते है।
क्या है पूरा मामला :
याचिका में जिंदा भ्रूण को कैलिफोर्निया भेजने के लिये इंडियन कांउसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी करने की मांग की गई है। दरअसल इस जिंदा भ्रूण के जरीए बच्चे को जन्म देने वाली सरोगेट मां कैलिफोर्निया में रहती है। जिसकी हालत गंभीर बताई जा रही हैं। खबरों की माने तो अगर भ्रूण भेजने में और देरी की गई तो महिला सरोगेसी के लिये इनकार कर सकती है। यही वजह है कि पक्षकारों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। ताकि जल्द ही इस मामले में सुनवाई हो सकें।
क्या है जिंदा भ्रूण से जुड़ा कानून :
जिंदा भ्रूण को बाहर भेजने के लिये कानूनन अनुमति लेना जरूरी है वरना यह अपराध की श्रेणी में आता है। बता दे कि अगर कोई बिना अनुमति ऐसा करता है तो पर असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन एक्ट के तहत कार्यवाई होगी। यह कानून 2021 में आया जिसके बाद जिंदा भ्रूण बाहर भेजने पर रोक लगाई गई है।
क्या है सरोगेसी :
जब किसी महिला को बार-बार गर्भपात हो रहा हो या फिर माता-पिता एक बच्चे को जन्म देने में असमर्थ हो तब मांए सरोगेसी का सहारा लेती है। जिसके जरीये उन्हें अपने बच्चे के लिये किराए की कोख मिल जाती है। भारत में आज भी सरोगेट मदर का मिलना काफी मुश्किल माना जाता है।
सरोगेसी से जुड़े नियम :
सरोगेसी केवल उन्हीं मामलों में की जा सकती है जब एक दंपती माता-पिता बनने में असमर्थ हो और उनके पास इस बात को साबित करने के लिये मेडिकल सर्टिफिकेट भी हो। इसका इस्तेमाल किसी भी तरह से पैसे कमाने के लिये नही किया जा सकता।
क्या कोर्ट जिंदा भ्रूण भेजने की अनुमति देगा :
भारत के दंपती ने उस समय कैलिफोर्निया में रहने वाली महिला को सरोगेसी के लिये चुना था जब देश में सरोगेसी से जुड़ा ऐसा कोई कानून ही नही था। सरोगेसी रेगूलेशन बिल 2020 में लोकसभा में पारित हुआ और इसके साथ ही इसके कमर्शियलाइजेशन पर रोक लगा दी गई। यही वजह है कि इस दंपती ने जिंदा भ्रूण के एक्सपोर्ट के लिये हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। अब बड़ा सवाल यह है कि याचिकाकर्ताओ को इस मामले में सफलता मिल पाती है या नही । वाणिज्य और उघोग मंत्रालय के फॅारेन ट्रेड रूल के मुताबिक केन्द्र सरकार ने भ्रूण भेजने की अनुमति तो दी है लेकिन इसके लिये याचिकाकर्ताओ को उचित कारण बताना जरूरी है। अगर उनकी दलीले न्यायसंगत मानी जाती है तो कोर्ट उन्हें इसकी अनुमति दे सकता है। फिलहाल इस मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी। मामले की पैरवी वकील परमिंदर सिंह कर रहे है।