नई दिल्ली। सावन का महीना शुरू होने में बस कुछ Maha Mrityunjay Mantra Benefits: ही दिन शेष हैं। ऐसे में savan 2022 लोग विभिन्न तरीकों से lord shiv भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के प्रयास करने में लग जाएंगे। पर भोले की भक्ति के लिए सबसे खास माना जाता है महामृत्युंजय मंत्र। जिसे करते तो बहुत से लोग हैं पर फायदा नहीं मिलता है। तो चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके करने का सही तरीका क्या है साथ ही इसके क्या—क्या फायदे होते हैं। महिमा सभी जानते हैं। इतना ही नहीं ऐसी भी मान्यता है कि इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के ऊपर से अकाल मृत्यु का खतरा टल जाता है। उसके जीवन में आ रही सभी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं।
यहां जानें मंत्र से जुड़ी बातें —
महामृत्युंजय मंत्र
मंत्र- ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!
मृत्युंजय मंत्र का जाप विधि -vidhi
- पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान शिव के समक्ष उस कार्य को दोहराएं, जो करना है. फिर महामृत्यंजय मंत्र का जाप करें।
- फिर शिवलिंग के सम्मुख खड़े होकर 1 लाख या अपनी श्रद्धा अनुसार मंत्रों के जाप का संकल्प लें।
- ध्यान रखें जब भी मृत्युंजय मंत्र का जाप करें तो इसके लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। साथ ही इस मंत्र की शुरुआत के लिए सोमवार के दिन का चयन करें।
- इस मंत्र के जाप में समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जानकारों की मानें तो इस मंत्र का जाप दोपहर 12 बजे से पहले किया जाएं तो ज्यादा शुभ माना जाता है। साथ ही इसके फल की प्राप्ति भी होती है। मान्यता है कि 12 बजे के बाद इस मंत्र का जाप करने से फल की प्राप्ति नहीं होती।
- अगर आप घर पर ही मंत्र की शुरुआत कर रहे हैं, तो पहले शिवलिंग की पूजा करें उसके बाद ही मंत्र जाप करें।
- यदि आपके पास शिवलिंग नहीं है या घर पर ये जाप करना संभव न हो तो मंदिर में जाकर शिवलिंग का पूजन करना चाहिए। फिर घर वापस आकर घी का दीपक जलाकर जाप करें। Mahamrityunjay Mantra Benefits
- कितनी मालाओं का जाप करना चाहिए इस बात पर ध्यान दें तो ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार लगातार 10 दिन तक महामृत्युंजय मंत्र का जाप 11 माला लगातार करने के बाद हवन करें।
ये लाभ होते हैं मृत्युंजय मंत्र से — Mahamrityunjay Mantra Benefits
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस मंत्र का जाप करने से ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, रोग, जमीन-जायदाद का विवाद, धन हानि से बचने, वर वधू की कुंडली न मिलने पर किया जाता है।