मुंबई ।Maharashtra Political Crisis शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को सीएम एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) को ‘शिवसेना नेता’ के पद से हटा दिया। यह कार्रवाई ऐसे समय की गई है जब शिंदे ने 10 दिन पहले ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी जिसके चलते महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार गिर गई थी।
ठाकरे ने लगाया ये आरोप
एक दिन पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले शिंदे को लिखे एक पत्र में ठाकरे ने उन पर ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल’ होने का आरोप लगाया। पत्र में कहा गया है कि शिंदे ने ‘स्वेच्छा से’ पार्टी की सदस्यता छोड़ दी है, इसलिए ‘शिवसेना पार्टी अध्यक्ष के रूप में मुझे प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, मैं आपको पार्टी संगठन में शिवसेना नेता के पद से हटाता हूं।’’ यह पत्र 30 जून का है, जिस दिन शिंदे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने वाले ठाकरे ने 29 जून को मुख्यमंत्री पद से तब इस्तीफा दे दिया था जब उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा दिए गए शक्ति परीक्षण के निर्देश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने CM एकनाथ शिंदे को शिवसेना से बाहर निकाल दिया है। पत्र में उद्धव ठाकरे ने लिखा है कि “पार्टी विरोधी गतिविधियों” में शामिल रहने के चलते उन्हें(एकनाथ शिंदे) पार्टी से निकाला जा रहा है।
(फाइल तस्वीर) pic.twitter.com/O7B06L5Xw6— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 2, 2022
11 जुलाई को होगी सुनवाई
शिवसेना के 55 में से 39 विधायक शिंदे के खेमे का हिस्सा थे, यह स्पष्ट था कि सरकार अपना बहुमत खो चुकी थी। शिवसेना ने पहले 16 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की थी और शिंदे को विधानसभा में पार्टी के नेता के पद से हटा दिया था। दूसरी ओर, शिंदे गुट ने दावा किया कि उनके पास बहुमत होने के कारण विधानसभा में असली शिवसेना उनका समूह है। वहीं, उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उन 15 बागी विधायकों को विधानसभा से निलंबित किए जाने का अनुरोध करने वाली शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु की याचिका पर 11 जुलाई को सुनवाई करेगा।