झांसी में एक शिक्षिका ने ढाई साल के मासूम की देखरेख के लिए नौकरानी रखी। रोजाना उसी के भरोसे बच्चे को छोड़कर शिक्षिका स्कूल पढ़ाने चली जाती थी। घर पर बच्चा रोता तो नौकरानी को कामकाज में दिक्कत होती। फिर नौकरानी ने मासूम को भांग खिलानी शुरू कर दी। इसको खाने के बाद बच्चा दिनभर सोता रहता था। जब इसका खुलासा हुआ तब शिक्षिका ने नौकरानी को काम से हटा दिया।
शहर क्षेत्र की रहने वाली शिक्षिका के यहां लंबे समय से नौकरानी घर का काम करती थी। पति-पत्नी रोजाना बच्चे को नौकरानी के भरोसे छोड़कर अपने-अपने ऑफिस चले जाते। स्कूल की छुट्टियां हुईं तो शिक्षिका के सामने दिनभर बच्चा चिड़चिड़ाता रहता था। फिर शिक्षिका ने नौकरानी से पूछा कि जब वह स्कूल से आती थीं, तब रोज बच्चा सोता मिलता था, अब क्यों रोता रहता है।
नौकरानी ने कहा कि बच्चे के पेट में दर्द होता है। इसलिए वह दूध में मिलाकर दवा दे देती थी, इससे उसे आराम मिल जाता था। इस पर शिक्षिका के होश उड़ गए। उसने दवा के बारे में पूछा। नौकरानी ने उन्हें भांग की गोली दी। शिक्षिका ने पास के डॉक्टर के पास जाकर वो दवा दिखाई। तब पता चला कि नौकरानी उनके बच्चे को भांग की गोली खिला रही थी। फिर शिक्षिका ने नौकरानी को काम से हटा दिया।
कबूलनामा, नौकरानी बोली- मुझे तो मेरी मां खिलाती थी
मामले का खुलासा होने के बाद शिक्षिका नौकरानी को मनोरोगी समझकर जिला अस्पताल की मनोचिकित्सक के पास लेकर पहुंची। डॉक्टर को नौकरानी ने बताया कि पेट में दर्द होने पर वह रोती थी तो उसकी मां भांग की गोली खिला देती थी। इससे उसे आराम मिल जाता था। इसलिए जब शिक्षिका का बच्चा रोता था तो उसे लगता था कि पेट में दर्द हो रहा होगा। इसलिए वह गोली खिला देती थी।
इस गंभीर मामले में प्रदेश के जाने माने साइकेट्रिस्ट तथा नशा मुक्ति विशेषज्ञ डॉ सत्यकांत त्रिवेदी (Psychiatrist in Bhopal)ने बताया कि बंसल अस्पताल ओपीडी में कई केसेस देखने को मिलते हैं जहां पर घर में काम करने वाले नौकर घर के किशोरों को नशे की लत लगवा देते हैं।पुराने जमाने में बच्चे को चुप कराने के लिए अफीम का इस्तेमाल किया जाता था,जो कि सही नहीं है।यह बच्चों के मानसिक विकास को बुरी तरीके से प्रभावित कर सकता है।सतर्कता एकमात्र विकल्प है।