पटना। सशस्त्र बलों में भर्ती संबंधी योजना ‘अग्निपथ’ के खिलाफ बिहार में हिंसक विरोध भले ही एक सप्ताह के भीतर शांत हो गया हो लेकिन इसके चलते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच पैदा हुई दरार गठबंधन पर गहरा असर डाल सकती है। जदयू जिसने भाजपा के पिछले सप्ताह अग्निपथ योजना के खिलाफ हिंसक विरोध-प्रदर्शन से निपटने में प्रशासन की विफलता के आरोप को अपने नेता के अपमान के रूप में लिया था, अब दिवंगत नेता अटल बिहारी वाजपेयी के वक्त की समन्वय समिति (ऐसा मंच जहां सहयोगियों के बीच मतभेदों को दूर किया जाता है) को पुनर्जीवित करने पर जोर दे रहा है ।
हर महीने बैठक होती थी
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव के सी त्यागी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘उस समय राजग समन्वय समिति की अध्यक्षता हमारे नेता जॉर्ज फर्नांडीस करते थे। हर महीने बैठक होती थी। अब इस तरह के मंच की अनुपस्थिति में लोग एक-दूसरे से कहने के बजाय मीडिया के सामने अपने मतभेद व्यक्त करते हैं।’’ त्यागी ने बिहार में भाजपा नेताओं द्वारा जदयू नेता पर टीका-टिप्पणी करने पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि ‘‘जदयू में किसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति कभी भी असम्मानजनक भाव प्रकट नहीं किया है।’’ उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, समान नागरिक संहिता और राष्ट्रव्यापी एनआरसी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘दोनों पार्टियों की अलग-अलग विचारधाराएं हैं, लेकिन अक्सर भाजपा के नेता अपने विचारों को ऐसे व्यक्त करते हैं जो हमें और हमारे नेता पर कटाक्ष जैसा प्रतीत होता है।’’ जदयू नेता ने भाजपा के कई नेताओं द्वारा बिहार विधानसभा में संख्यात्मक रूप से श्रेष्ठ गठबंधन सहयोगी के रूप में खुद को पेश किए जाने पर भी नाराजगी जतायी।
लालू के साथ किया था गठबंधन
उन्होंने भाजपा को याद दिलाने की कोशिश की कि ‘‘नवंबर 2005 में विधानसभा चुनाव के दौरान कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से राजग को निर्णायक जीत हासिल करने में मदद मिली थी और लालू प्रसाद यादव को पराजय का सामना करना पडा था।’’ उन्होंने कुछ भाजपा नेताओं के इस तर्क पर भी आपत्ति जताई कि नीतीश जिन्होंने कुछ साल पहले राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू के साथ गठबंधन किया था, एक अविश्वसनीय सहयोगी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘2010 के विधानसभा चुनाव में हमने पूर्ण बहुमत से केवल सात कम 115 सीटें जीती थीं। हम सरकार बनाने में कामयाब रहे, भाजपा के साथ हम नहीं भी जा सकते पर हमने ऐसा नहीं किया।’’
विद्रोह शुरू किया था
त्यागी ने कहा, ‘‘बिहार में भाजपा नेताओं को यह भी पता होना चाहिए कि नीतीश कुमार लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते थे। उन्हें पता होना चाहिए कि दिल्ली में उनकी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा दबाव डाले जाने के बाद ही वह सहमत हुए’’। उन्होंने कथित तौर पर लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान की मदद से अपने नेता के खिलाफ रची गई साजिश का भी उल्लेख किया, जिसके कारण जदयू को 2020 के विधानसभा चुनावों के बाद गठबंधन के बड़े सहयोगी का अपना दर्जा खोना पड़ा । हालांकि त्यागी ने इसे सीधे तौर पर नहीं कहा पर जदयू नेताओं का ऐसा मानना है कि चिराग ने भाजपा की मौन स्वीकृति के साथ बिहार के मुख्यमंत्री के खिलाफ अपना विद्रोह शुरू किया था।
विवाद से गलत संदेश जाता है
लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के बेटे और पिछले साल पार्टी में विभाजन तक पार्टी के अध्यक्ष रहे चिराग ने समय समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी वफादारी की बात सार्वजनिक तौर पर कही है। भाजपा ने अब चिराग के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंकने वाले उनके चाचा पशुपति कुमार पारस को साथ लिया है और उन्हें केंद्रीय मंत्री बना दिया है। इस बीच भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष संजय जायसवाल जिनके घर पर पिछले सप्ताह विरोध प्रदर्शन करने वाली भीड़ ने हमला किया था और जिसके बाद उन्होंने प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाया था, ने कहा, ‘‘सब कुछ ठीक है। अब कोई समस्या नहीं हैं। हमारी सभी शिकायतों का समाधान कर दिया गया है’’। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने जायसवाल पर अपना मानसिक संतुलन खो देने का कटाक्ष करते हुए उनपर नीतीश कुमार जैसे अनुभवी प्रशासक को सलाह देने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने वर्तमान स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते करते हुए कहा, ‘‘दोनों पक्षों में यह वाकयुद्ध समाप्त होना चाहिए। मुझे इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि यह गठबंधन अपने पूरे पांच साल के कार्यकाल तक चलेगा। लेकिन विवाद से गलत संदेश जाता है।’