नई दिल्ली। भगवान विष्णु की Yogini Ekadashi Vrat 2022 पूजा के लिए एकादशी व्रत (Yogini Ekadashi) खास माना जाता है। वैसे तो हर Yogini Ekadashi Vrat 2022 Date महीने दो बार आती है। लेकिन आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी कहा जाता है। जो खास मानी जाती है। आपको बता दें इस साल की योगिनी एकादशी 24 जून को आ रही है। चूंकि इस दिन एकादशी रविवार को आ रही है इसलिए आप भी यह व्रत करके भगवान विष्णु के साथ—साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा पा सकते हैं।
हजार ब्राहृण को भोजन कराने जितना फल —
ऐसी मान्यता है कि जो लोग योगिनी एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें हजारों ब्राह्मणों के भोजन कराने जितना पुण्य प्राप्त होता है। इसलिए अगर आप भी हजार ब्राहृणों को भोजन कराने जितना फल चाहते हैं तो ये व्रत जरूर करें।
योगिनी एकादशी व्रत तिथि और शुभ मुहूर्त ‘—
हिन्दु ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं।
एकादशी तिथि प्रारंभ —
23 जून को रात 9:41 से प्रारंभ
एकादशी तिथि का समापन
24 जून को रात 11: 12 पर
इस दिन रखा जाएगा व्रत —
उदया तिथि के अनुसार 24 जून दिन शुक्रवार को योगिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
व्रत का पारण —
25 जून दिन शनिवार
व्रत की पूजा विधि और महत्व —
- सुबह स्नान करके भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को पीले आसन पर बिठाएं।
- हल्दी चंदन के साथ पुष्प माला से भगवान का श्रृंगार करें।
- भगवान विष्णु के सामने हाथ जोड़कर अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करें कि हे मां लक्ष्मी वे आपके घर में धन, अन्न भंडार भरे रहें।
महत्व —
कहते हैं जो व्यक्ति योगिनी एकादशी का व्रत रखता है उस पर भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की कृपा भी होती है। भगवान के भक्तों यानि इस व्रत को करने वालों पर ऐश्वर्य के साधन उपलब्ध होते हैं। इतना ही नहीं उनके जीवन में संपन्नता बनी रहती है। ऐसी भी मान्यता है कि इस व्रत को करने से पूर्वजों को संतुष्टि मिलती है। जिससे उनके पूर्वज परलोक में भी मुक्ति प्राप्त करते हैं।
योगिनी एकादशी पर क्या करें —
- योगिनी एकादशी व्रत के एक दिन पूर्व सात्विक भोजन करें। मांस, मदिरा, धूम्रपान आदि से दूर रहें।
- फिर 24 जून को एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद पीले कपड़े पहनें।
- पूजा स्थल को साफ—सुथरा रखें।
- पूजन शुरू करने से पहले हाथ में चावल, जल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
- पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान श्री विष्णु की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद पंचामृत स्नान कराएं।
- फिर भगवान श्रीहरि का श्रृंगार कर उन्हें वस्त्र, पीले फूल, फल, माला, चंदन, धूप, दीप, अक्षत्, शक्कर, हल्दी, तुलसी के पत्ते, पान का पत्ता, सुपारी आदि चढ़ाएं। पूजा के दौरान मंत्र का जाप करें।
इस मंत्र से करें जाप —
- ओम भगवते वासुदेवाय नम:
- इसी के साथ विष्णु मंत्री के अलावा विष्णु चालीसा, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- इसके बाद योगिनी एकादशी व्रत कथा सुनें।
- पूजा समाप्त होने पर आखिरी में घी के दीपक या कपूर से विधिपूर्वक आरती करें।
- भगवान विष्णु से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।
- व्रत के दिन सामर्थनुसार फलाहार करें। इसके बाद सायं काल की श्रीहरि की आरती करके रात्रि जागरण करें।
- अगले दिन सुबह स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करके योग्य ब्राह्मण को अन्न, वस्त्र का दान करें।
- इसके बाद सूर्योदय के पश्चात शुभ समय में योगिनी एकादशी व्रत का पारण करें।
नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित है। बंसल न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।