भोपाल। आज 24 मई को विश्व स्किज़ोफ़्रेनिया दिवस World Schizophrenia Day 24 May है। इस अवसर पर एमपी के जाने माने मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी ने मीडिया को इस बीमारी से जुड़ी बारीकियों को बताया। mp news उनके अनुसार सिजोफ्रेनिया एक प्रकार का विचारों को प्रभावित करने वाला मानसिक रोग है, जो कि लगभग 1 प्रतिशत जनसंख्या में हो सकता है।
व्यक्ति के दिमाग में चलता है ऐसा कुछ —
सिरोंज से आये विनोद (परिवर्तित नाम) के परिजन मुझे ये बताते हैं कि वह पिछले 6 साल से खुद से बात करता है, अकेले में हंसता और मुस्कुराता है। उसे लगता है कि लोग उसके बारे में बातें करते हैं और परिवार के खिलाफ साजिश रच रहे हैं। उसकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए पूरे घर में अदृश्य कैमरे लगा दिए गए हैं। वह अपने कमरे में ही पड़ा रहता है। हफ्तों तक कपड़े नहीं बदलता। परिजनों के अनुसार वह पहले पढ़ाई-लिखाई पूरी कर नौकरी कर रहा था। धीमे-धीमे उसमें ये लक्षण आते गए । जादू-टोने वालों के पास जाकर भी कोई लाभ नहीं मिला। लोग क्या कहेंगे, इस कारण से मनोचिकित्सक से मिलने में हिचक थी।
आखिर क्या है सिजोफ्रेनिया —
डॉ सत्यकांत त्रिवेदी (Dr Satyakant Trivedi – Psychiatrist in Bhopal) बताते हैं कि सिजोफ्रेनिया एक प्रकार का विचारों को प्रभावित करने वाला मानसिक रोग है, जो कि लगभग 1 प्रतिशत जनसंख्या में हो सकता है। आनुवंशिक कारणों के साथ-साथ न्यूरोट्रांसमीटर डोपामाइन का असंतुलन एक प्रमुख वजह मानी गई है, जो कि इसके उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवाओं का आधार है।
ये होते हैं सिजोफ्रेनिया के लक्षण —
मुख्य लक्षणों की बात करें तो डिल्युजन (असत्य विचार पर प्रमाण देने पर भी जड़ रहना), हैलुसिनेशन (बिना वास्तविक स्रोत के आवाजें सुनाई देना, चीजें दिखाई देना ), व्यवहार में गंभीर परिवर्तन इसके लाक्षणिक गुण हैं। हैलुसिनेशन के प्रभाव में ये लोग बाह्य रूप से अकेले में बुदबुदाते और बड़बड़ाते हुए दिखते हैं। डिल्युजन के कारण ये डरे और सहमे से रहते हैं और सामाजिक रूप से कटे-कटे से रहने लगते हैं। कई बार घंटों तक एक स्थिति में भी बने रह सकते हैं। धीमे-धीमे वे अपना ध्यान रखने में असमर्थ होते जाते हैं। जागरूकता का अभाव एवं कलंक का भाव इस रोग का उपचार मिलने में बड़ी बाधा बनता है।
इस रोग के प्रति बड़ी भ्रांतियां हैं। जैसे कि इस रोग से ग्रसित लोगों की स्प्लिट पर्सनैलिटी (एक व्यक्ति में दो व्यक्तित्व होना) होती है, ये हिंसक प्रवृत्ति के होते हैं, सामान्य जीवन कभी नहीं जी सकते, अपना काम-धंधा नहीं कर सकते, मेंटल हॉस्पिटल में रहना पड़ता है, किसी के काले जादू का परिणाम है। इन भ्रांतियों से बाहर आएं।
क्या है सिजोफ्रेनिया का इलाज —
सिजोफ्रेनिया का प्रभावी इलाज संभव है। उपयोग की जाने वाली दवाइयां एंटीसाइकोटिक समूह की होती हैं, जो कि मनोचिकित्सक की निगरानी में ली जानी चाहिए। परिजनों की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। बिना पेशेवर सलाह या दवा के प्रति अपनी नकारात्मक धारणाओं से अपने परिजनों को दवा देने से वंचित न रखें। दिनचर्या निर्धारण में ऐसे रोगियों का सहयोग करें। उनके साथ बेहतर संवाद स्थापित करना आवश्यक है। सिजोफ्रेनिया से ग्रसित व्यक्ति में कोविड संक्रमण की आशंका ज्यादा है। इसलिए समय पर वैक्सीन जरूर लगवाएं। इस बीमारी के नाम का उपयोग सामान्य बातचीत में किसी को इंगित करने के लिए न करें। ऐसा करने से समाज में इस रोग के प्रति कलंक का भाव बढ़ता है।