BHOPAL:आम तौर पर आप सोचते होंगे कि भारत में पहली मस्जिद मुगलों ने बनवाई होगी लोकिन आप गलत हैं।दरअसल भारत में पहली मस्जिद मुगलों के आने से लगभग 897 साल पहले ही बन गई थी।आइये जानते हैं भारत में पहली मस्जिद कब और कहां बनी थी। इसे किसने बनवाया था? चलिए जानते हैं और बताते हैं आपको इससे जुड़ी तमाम जानकारियां।
विश्व की सबसे पुरानी मस्जिद है ये
माना जाता है कि भारत की पहली मस्जिद(first mosque of india) पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद के जीवन के दौरान ही केरल(kerla) के कोडुंगलूर क्षेत्र में बनाई गई थी। 629 ईस्वी में बनी इस मस्जिद को दुनिया की दूसरी सबसे पुरानी(world second oldest mosque) मस्जिद बताया जाता है। हालांकि यह मस्जिद कई बार निर्माण की प्रक्रिया से गुजर चुकी है। भारत में बनी पहली मस्जिद को चेरामन मस्जिद(cheraman mosque) के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण मलिक बिन दीनार ने कराया था।
मलिक बिन दीनार ने ऐसे बनवाया
कोडुंगालुर के शासक चेरामन पेरुमल यहां का शासक था। बताया जाता है कि मक्का यात्रा के दौरान चेरामन पेरुमल ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था और उसने ही भारत में इस्लाम प्रचार के लिए मक्का के लोगों को आमंत्रित किया था। उसके न्योते पर ही मलिक बिन दीनार और मलिक बिन हबीब भारत आए और इस मस्जिद का निर्माण कराया था।
यहीं सबसे पहले शुरू हुई जुमें की नमाज
इस मस्जिद की खास बात यह है कि दक्षिण के मंदिरों की तर्ज पर इस मस्जिद(first mosque of india) में भी एक तालाब देखने को मिलता है। मस्जिद पहले लकड़ी से बनाई गई थी, लेकिन बाद में इसकी मरम्मत होती रही। अब यह मस्जिद बिल्कुल नए रूप में दिखाई देती है। इसके अंदर लगा काला संगमरमर मक्का से लाया गया था। मस्जिद के अंदर मलिक दीनार और उसकी बहन की कब्र भी मौजूद हैं। बताया जाता है कि कोडुंगलूर भारत का पहला और विश्व की दूसरा ऐसा स्थान है, जहां जुमा नमाज शुरु हुई थी।
वजू खाना की जगह यहां है तालाब
ये मस्जिद विभिन्न धर्मों का एक अनोखा संगम है क्योंकि एक खास एंगेल से देखने पर ये एक मंदिर जैसा लगता है। दक्षिण के मंदिरों की तर्ज पर इस मस्जिद में भी एक तालाब देखने को मिलता है।यह अनोखी बात है कि यहां मंदिर की तर्ज पर तालाब है।
हजारों साल से जल रहा दिया
ऐसा माना जाता है कि इस मस्जिद(first mosque of india) में एक दीपक प्रज्वलित है, जो हजारों सालों से वहां जल रही है। आज भी लोग अपनी इस आस्था को जीवित रखे हुए है औऱ इस दीपक में डालने के लिए तेल लेकर आते है।कहते हैं यहां सभी धर्मों के लोग मिलकर तेल डालते हैं।
सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक
चेरामन जुमा मस्जिद देखकर स्पष्ट होता है कि इसमें मंदिर और मस्जिद की मिली जुली वास्तुकला को ध्यान में रखा गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मस्जिद में लंबे समय से ही हर धर्म के लोगों का आना जाना रहा है। साथ ही, इस मस्जिद में एक दीया हजार साल से भी अधिक समय से लगातार जल रहा है। केरल की बाकी मस्जिदों की तरह इस दीये के लिए तेल भी हर समुदाय के स्थानीय लोग दान के रूप में देते हैं।