पंजाब की राजनीति के सबसे बड़े चेहरे कांग्रेस नेता और पूर्व भारतीय क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu road rage case) को सुप्रीम कोर्ट ने 34 साल पुराने एक मामले में सजा सुनाई है। पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू को हत्या के मामले में तीन साल कैद की सुनाई थी। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गैर इरादन हत्या के मामले में बरी कर दिया था और चोट पहुंचाने पर उनपर एक हजार रूपये का जुर्माना लगाया था। साल 2006 में इसी मामले में हाई कोर्ट ने सिद्धू (Navjot Singh Sidhu road rage case) को तीन साल की सजा सुनाई थी। लेकिन उन्होंने उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, मामला 34 साल पुराना है। यह विवाद 27 दिसंबर 1988 में पटियाला में हुआ था। हुआ यू था कि जब सिद्धू (Navjot Singh Sidhu road rage case) ने अपनी जिप्सी कार पार्क की थी, उसी समय पीड़ित और दो लोग बैंक से पैसा निकालने के लिए जा रहे थें। सड़क पर सिद्धू (Navjot Singh Sidhu road rage case) की जिप्सी देखकर उसे हटाने को कहा तो दोनों में बहस हो गई। सिद्धू (Navjot Singh Sidhu road rage case) पर आरोप लगा था कि उन्होंने पीड़ित के साथ मारपीट की थी और घटन को अंजाम देकर वह फरार हो गए थे। वही पीड़ित को डॉक्टरों ने अस्पताल में मृत घोषित कर दिया था।
निचली अदालत से बरी हो गए थे सिद्धू
सितंबर 1999 में निचली अदालत ने नवजोत सिह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu road rage case) को बरी कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने दिसंबर 2006 में सिद्धू (Navjot Singh Sidhu road rage case) और एक अन्य पर गैर इरादतन हत्या मामले में दोषी करार देते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई थी, जिसे दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद उच्चतन न्यायालय ने सिद्धू (road rage case) को पीड़ित के साथ मारपीट मामले में दोषी करार देते हुए हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। इसी मामले में अब पीड़ित की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है।
खुद स्वीकारी थी मारने की बात?
जब यह घटना घटी थी उस वक्त नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu ) के क्रिकेट करियर की शुरूआत थी। उनकी उम्र उस वक्त महज 25 साल थी। 1987 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई में डेब्यू किया और फिर अगले ही साल वह इस मामले में फंस गए। मामले के चलते चुनाव लड़ने पर भी आपत्ति दर्ज की गई। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इजाजत दे दी थी। मृतक गुरनाम सिंह के परिजनों ने 2010 में एक चौनल के शो में सिद्धू (Navjot Singh Sidhu ) द्वारा गुरनाम को मारने की बात स्वीकार करने की सीडी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी।