इन दिनों देशभर भीषण गर्मी के साथ-साथ बिजली संकट (Power Crisis) से भी जूझ रहा है। देश के कई राज्यों में बिजली संकट (Power Crisis) की कमी से अंधेरा होने की स्थिति देखी जाने लगी है। बिजली की मांग बढ़ने के बाद से थर्मल पावर प्लांटों (Thermal power plants) में कोयले की सप्लाई भी तेजी से बढ़ी है। लेकिन कोयले का स्टॉक घटने लगा है। देशभर में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ने लगी है वैसे ही बिजली (Power Crisis) की मांग बढ़ने लगी है। एक कारण यह भी रहा कि जैसे तैसे कोरोना और लॉकडाउन के बाद देश की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक गतिविधियों अपनी पटरी पर लौटी तो वैसे ही बिजली (Power Crisis) की खपत बढ़ी। लेकिन पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक नहीं है। कोयले की कमी की बात कोल इंडिया (Coal India) स्वीकार कर चुकी है। कोल इंडिया ने कहा था कि देश के बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार नौ साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था।
महाराष्ट्र में अधीक मांग
देश के उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना इत्यादि राज्य भी इस समय कोयले की किल्लत से जूझ रहे हैं। महाराष्ट्र में करीब 28 हजार मेगावाट बिजली की मांग है, जो पिछले साल के मुताबिक 4 हजार मेगावट ज्यादा है। पिछले साल अक्टूबर माह में भी बिजली (Power Crisis) की मांग बढ़ने के कारण कोयला संकट के चलते बिजली संकट (Power Crisis) गहराया था कोरोना काल से पहले अगस्त 2019 में देश में बिजली (Power Crisis) की खपत 106 बिलियन यूनिट थी, जो करीब 18 फीसदी बढ़ोतरी के साथ अगस्त 2021 में 124 बिलियन यूनिट दर्ज की गई। विशेषज्ञों का मानना है कि मार्च 2023 तक देश में बिजली (Power Crisis) की मांग में 15.2 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है, जिसे पूरा करने के लिए कोयला आधारित बिजली संयंत्रों को उत्पादन में 17.6 फीसदी वृद्धि करनी होगी।
क्या कहता है कोल इंडिया
देश में करीब 80 फीसदी कोयले का उत्पादन कोल इंडिया (Coal India) लिमिटेड द्वारा किया जाता है। देशभर में कुल बिजली उत्पादन (Power Crisis) का 70-75 फीसदी कोयला आधारित संयंत्रों से ही होता है कोल इंडिया (Coal India) का कहना है कि वैश्विक कोयले की कीमतों और माल ढुलाई लागत में वृद्धि से आयात होने वाले कोयले से बनने वाली बिजली (Power Crisis) में कमी आई है। वही केन्द्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी के मुताबिक 2012-22 में कोयला उत्पादन 8.5 फीसदी बढ़कर 77.72 करोड़ टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। अब ऐसे में बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि यदि कोयले का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है तो फिर बिजली संयंत्र कोयले की भारी कमी से क्यों जूझ रहे हैं और यदि कोयले की कमी नहीं है तो बिजली उत्पादन (Power Crisis) में गिरावट क्यों आ रही है?
बिजली संकट (Power Crisis) से छुटकारा पाने के लिए देश में कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के बजाय प्रदूषण रहित सौर ऊर्जा परियोजनाओं, पनबिजली परियोजनाओं तथा परमाणु बिजली परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जाए। इस वर्ष तक सौर ऊर्जा के जरिये 100 गीगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन इस लक्ष्य को हासिल नहीं किए जा सकने के कारण भी बिजली की कमी का संकट बना है।