Bhopal Lalghati History : इतिहास अपने आप में एक अलग महत्व रखता है। इतिहास के माध्यम से हम पुरानी वर्षो पुरानी घटनाओं और क्षेत्र के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है। दुनिया में किसी स्थान के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर होती है और उसके नाम के पीछे छुपा होता है इतिहास (Bhopal Lalghati History) । आज हम आपको मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित लाल घाटी के खूनी इतिहास (Bhopal Lalghati History) के बारे में बताने जा रहे है। चलिए जानते हैं कि लाल घाटी भोपाल (Bhopal Lalghati History) का खूनी इतिहास क्या था।
लाल घाटी का खूनी इतिहास
भोपाल की लाल घाटी के इतिहास को जानने से पहले हमे यह जानना जरूरी होगा की घाटी किसे कहते है। साधारण शब्दों में समझें तो किसी भी पहाड़ी या खाई को घाटी कहते हैं। लेकिन इस जगह का नाम ‘लालघाटी’ कैसे पड़ा इसके लिए हमे इतिहास के पन्नों को पीछे करना होगा। इसके पीछे एक बहुत बडी घटना रही है। दरअसल इंसानी खून से नहाने के बाद इस घाटी का नाम लालघाटी (Bhopal Lalghati History) पड़ा था। बता दें कि भोपाल का पहला नवाब ‘दोस्त मोहम्मद खां’, बैरसिया के पास का एक जमींदार था। वह भोजपाल नगरी को अपने कब्जे में करना चाहता था। लेकिन भोजपाल पर कब्जा करने से पहले उसे रास्ते में जगदीशपुर के राजा ‘नरसिंह राव चौहान’ से जीतना पड़ता जोकि आसान नहीं लग रहा था।
मोहम्मद खां का धोखा
इसके लिए दोस्त मोहम्मद खां ने धोखे का सहारा लिया। उसने नरसिंह राव चौहान को एक मैत्री भोज यानि दोस्ती के नाम पर साथ भोजन करने का आमंत्रण दिया। दोस्त खां के भेजेेे गए आमत्रण को नरसिंह राव चौहान ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद दोनों पक्षों से 16-16 लोग इस संधि में शामिल हुए। दोस्त मोहम्मद खां ने थाल नदी के किनारे तंबू लगवाए और एक भोज का आयोजन किया। जब राजा नरसिंह राव चौहान के सारे लोग मदहोश हो गए तो धोखे से दोस्त मोहम्मद खां ने उनलोगों पर हमला करवा दिया। जिसके बाद मोहम्मद खां के सैनिकों ने बड़ी बेरहमी से नरसिंह राव चौहान के सारे सैनिकों की हत्या कर दी। यह नरसंहार इतना भीषण था कि नदी का पानी खून से लाल हो गया। इसकी कारण उस दिन से इस नदी का नाम हलाली नदी हो गया। हलालपुर बस स्टैंड का नाम भी इसी नदी के नाम पर है।
लालघाटी नाम पड़ने के पीछे का कारण?
नरसिंह राव चौहान की हत्या के बाद दोस्त मोहम्मद खां ने जगदीशपुर पर कब्जा कर लिया और इसका नाम इस्लामपुर कर दिया, जिसे आज इस्लामनगर के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद नरसिंह राव चौहान के पुत्र नें अपना राज्य वापस पाने के लिए छोटी सेना का गठन कर दोस्त मोहम्मद खान पर चढाई कर दी, हालांकि वो ‘दोस्त मोहम्मद खां’ के सामने टिक नहीं पाया तथा उसकी सेना के खून से नहाकर घाटी लाल हो गई और तब से ही इस घाटी का नाम लालघाटी (Bhopal Lalghati History) पड़ गया।