नई दिल्ली। RBI inflation Rate कोरोना महामारी के बाद से जहां पर आर्थिक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल की स्थिति बनी हुई है वहीं पर हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास का बयान सामने आया है जिसमें पता चला है कि, मार्च के महीने में 12 में से 9 खाद्य उपसमूहों में मुद्रास्फीति में वृद्धि दर्ज़ की।
जानें क्या बोले RBI गर्वनर
आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर शक्तिकांत दास ने बताया कि, मार्च 2022 में हेडलाइन CPI मुद्रास्फीति में 7% की तेजी खाद्य मुद्रास्फीति से प्रेरित थी जिसके बाद मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने तत्काल प्रभाव से रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट्स की वृद्धि के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया है। जिसके साथ ही फिर बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
मार्च 2022 में हेडलाइन CPI मुद्रास्फीति में 7% की तेजी खाद्य मुद्रास्फीति से प्रेरित थी: भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास pic.twitter.com/eC4qxjO6Us
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 4, 2022
0.40 प्रतिशत रेपो में किया इजाफा
आपको बताते चलें कि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया। मुख्य रूप से बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। इस कदम से कंपनियों और लोगों के लिये कर्ज लेना महंगा होगा। खुदरा मुद्रास्फीति पिछले तीन महीने से लक्ष्य की उच्चतम सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। आरबीआई को खुदरा महंगाई दर दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
CRR के रेट में भी की बढ़ोत्तरी
आपको बताते चलें कि, रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में बुधवार को बिना तय कार्यक्रम के बुलाई गई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को 0.50 प्रतिशत बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत करने का भी निर्णय किया गया। इससे बैंकों के पास 87,000 करोड़ रुपये की नकदी घटेगी। सीआरआर से आशय बैंक की उस जमा से है, जिसे बैंकों को नकद रूप में रखने की जरूरत होती है। नकद आरक्षित अनुपात में वृद्धि 21 मई से प्रभाव में आएगी। यह अगस्त, 2018 के बाद रेपो दर में पहली वृद्धि है। इसी तरह यह पहला उदाहरण है, जब एमपीसी ने बिना किसी निर्धारित कार्यक्रम के बैठक आयोजित कर ब्याज दरें बढ़ाई हैं।
जानें क्या है रेपो दर
रेपो वह दर है जिस पर बैंक तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिये आरबीआई से कर्ज लेते हैं। एमपीसी की बैठक में सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर बढ़ाने का निर्णय किया। दूसरी तरफ उदार रुख को भी कायम रखा गया है। दास ने कहा कि महंगाई दर लक्ष्य की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। अप्रैल महीने में भी इसके ऊंचे रहने की संभावना है। मार्च महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 6.9 प्रतिशत रही थी। इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने बिना तय कार्यक्रम के 22 मई, 2020 को रेपो दर में संशोधन किया था। इसके तहत मांग बढ़ाने के इरादे से रेपो दर को घटाकर अबतक के सबसे निचले स्तर चार प्रतिशत पर लाया गया था।
6-8 जून को होगी अगली समीक्षा बैठक
यह घोषणा रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड के निदेशकों की 595 वीं बैठक के कुछ दिन बाद हुई है। सोमवार को केंद्रीय निदेशक मंडल ने एमपीसी के सदस्य के रूप में राजीव रंजन की नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी। रंजन ने मृदुल सागर का स्थान लिया जो 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हुए। रंजन एमपीसी के तीसरे आतंरिक सदस्य (पदेन) हैं। मौद्रिक नीति समिति की अगली द्विमासिक समीक्षा बैठक 6-8 जून को होनी है।