मध्यप्रदेश के सतना जिले में मौजूद मैहर की माता शारदा मंदिर का नाम तो आपने सुना ही होगा।और हो सकता है कि आपने इसे देखा भी हो।लेकिन कहते हैं न कि साधारण दुनिया के परे भी एक दुनिया होती है और मैहर से संबंधित ऐसी ही दुनिया की बात हम करेंगे। जहां कहा जाता है आज भी आल्हा ऊदल अदृश्य रूप में मां शारदा की आरती करने के लिए आते हैं।
आल्हा-उदल करते हैं सबसे पहले पूजा
इस मंदिर के ऐसे कई चमत्कार हैं, जिसके चलते देश दुनिया से कई लोग माता के दर्शन करने यहां आते हैं। मान्यता है कि मंदिर का जब पट बंद हो जाता है और सभी पुजारी और भक्त पहाड़ के नीचे चले आते हैं एवं वहां पर कोई नहीं रहता। उस वक्त मंदिर के भीतर आल्हा और ऊदल अदृश्य रूप में माता की पूजा करने के लिए आते हैं।सुबह जब मंदिर का पट खुलता है, उस वक्त मां की पूजा हो चुकी होती है।
मैहर की खोज करने वाले भक्त
आल्हा और उदल मां शारदा के परम भक्त थे। उन्होंने मां के इस पवित्र स्थल की खोजी की थी। दोनों भाइयों ने 12 साल तक कठोर तपस्या की। इससे मां काफी खुश हुईं और उनको अमरत्व का वरदान दिया। मान्यता कहती है कि दोनों भाइयों ने माता के समक्ष अपनी जीभ को अर्पण कर दिया था, पर माता ने उसे लेने से मना कर दिया।
जानिए मैहर के बारे में
हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मैहर उन्हीं 51 शक्तिपीठों में एक है।और यह शक्तिपीठ मां शारदा के नाम से है। कहा जाता है कि यहां पर मां सती का हार गिरा था। मां शारदा का ये पावन धाम मध्य प्रदेश के त्रिकूट पर्वत पर स्थित है। हमारी संस्कृति में मां शारदा को बुद्धि की देवी कहा गया है।mystery of maa Sharda temple maihar
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