Serial Killer Thug Bahram : दुनिया में ऐसे कई सीरियल किलर्स आए जिनकी कहानियां सुनकर लोगों की रूह तक कांप उठी। लेकिन एक ऐसा सीरियल किलर भी था जिसका 900 से अधिक लोगों की हत्या करने को लेकर उसका नाम गिनीज बुक रिकार्ड में दर्ज आज भी हैं। इस कुख्यात अपराधी को पकडने के लिए पुलिस करीब 10 सालों तक उसका पीछा करती रहीं। धारदार हथियारों से तो कई किलर्स हत्या जैसी घटनाओं को अंजाम देते थे लेकिन यह सीरियल किलर तो रूमाल से मौत देता था।
हत्या से पहले निकालता था गिदड़ की आवाज
हम बात कर रहे है ठग बहराम का नाम के सीरियल किलर की ठग बहराम का जन्म साल 1765 के करीब हुआ था। ठग बहराम का आपराधिक तांडव 1790 से 1840 तक रहा। सीरियल किलर ठग बहराम की अपनी अपराधिक घटनाओं ने अंग्रेजों की नाम में दम करके रखा था। गिनीज बुक रिकॉर्ड के मुताबिक, बहराम ने कुल 931 लोगों को मारने का आरोप था। जिनमें से पर्यटक, सैनिक और श्रद्धालु शामिल थे। ठग बहराम ने बड़े स्तर की लूटपाट को अंजाम देने के लिए एक गैंग बना ली थी। इन लोगों का काम श्रद्धालुओं और सैलानियों के जत्थे में शामिल होना होता था। फिर रास्ते में जब कभी सैलानी/श्रद्धालु थक कर सो जाते थे तब बहराम व उसका गैंग सोए हुए लोगों की हत्या कर सारा सामान लूट लेता था। बताया जाता है कि बहराम गैंग के सदस्य वारदात को अंजाम देने से पहले गीदड़ जैसी आवाज निकालकर अपने साथियों को सतर्क करते थे।
रूमाल से देता था मौत
ठग बहराम अपने पीले रंग के रुमाल से लोगों को मौत देता था। इस सीरियल किलर का इतना आतंक था कि वह दिल्ली से लेकर एमपी और यूपी तक खौफ का दूसरा नाम बन गया था। यहां तक कि कोई भी उन रास्तों नही गुजरता था जहां बहराम के गिरोह के होने की आशंका होती थी। ठग बहराम के आतंक से परेशान होकर साल 1809 मे अंग्रेज अफसर कैप्टन विलियम स्लीमैन को गायब हो रहे लोगों के रहस्य का पता लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
गायब होना शुरू हो गए थे शव
दरअसल, उस वक्त लोगों के शव मौत के बाद गायब होने शुरू हो गए थे। अंग्रेजी हुकूमत भी हैरान थी और आखिरकार 10 सालों की कड़ी मशक्कत के बाद कैप्टन स्लीमैन ने बहराम को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि बहराम ठग का गिरोह ही लूटपाट और हत्याओं को अंजाम देता था। जांच के मुताबिक, इस गिरोह में करीब 200 सदस्य थे। ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ के अनुसार सन् 1790-1840 के बीच ठग बहराम के नाम पर 931 सीरियल किलिंग दर्ज हैं, जो कि विश्व रिकॉर्ड है। साल 1840 में उसे अंग्रेज सरकार ने सजा-ए-मौत दे दी।