छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में एक ऐसा देवी का स्थान है जहां भक्त काला चश्मा चढ़ाते हैं। ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि देवी मां जंगल को हरा-भरा रखती हैं जंगल के साथ ही हमारी रक्षा भी करती हैं। यहां के स्थानियों ने बताया कि यहां हर 3 साल में विशाल जात्रा का आयोजन किया जाता है। इस जात्रा में पूरे बस्तर संभाग ही नहीं पूरे छत्तीशगढ़ के से लोग पहुंचते हैं और चश्मा चढ़ाते हैं। बताया जाता है कि देवी को जो चश्मा चढ़ाते हैं, वे फिर प्रसाद स्वरूप अपने साथ लेकर जाते हैं। भक्त उन्हें चश्मे वाली देवी भी कहते हैं।
कहां है ये मंदिर
बस्तर जिले के कांगेर वैली नेशनल पार्क के कोटमसर गांव में देवी बास्ताबुंदिन का मंदिर है। इन्हें चश्मे वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है। जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर माता के दरबार जिस समय भी पहुंचता है वो चश्मा चढ़ा सकता हैं। ग्रामीणों ने बताया कि, बस्तर के कई गांवों के लोग खुद पैसे इकट्ठा कर जात्रा का आयोजन करते हैं। माता से सभी की रक्षा की मनोकामना करते हैं। इस साल 28 अप्रैल को जात्रा का आयोजन किया जाएगा, जो 3 दिन तक चलेगी।
ग्रामीण है प्रकृति के उपासक
यहां का हरे-भरे जंगल को देखकर आपका मन हर्षित हो जायेगा। और इस बारे में यहां के ग्रामीणों ने कहा कि हम अपने जंगल को अपनी जान से भी ज्यादा चाहते हैं। जंगल को किसी की नजर न लगे इस लिए देवी को नजर का काला चश्मा भी चढ़ाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। खास बात ये है कि अब युवा पीढ़ी भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है।
देवी चश्मा पहनकर करती हैं गांव की परिक्रमा
मंदिर के पुजारी का कहना है कि, हम हर साल अपनी देवी मां को चश्मा पहनाकर पूरे गांव की परिक्रमा करवाते हैं। ताकि यहां के जंगलों को नजर न लगे और सभी लोग खुश रहें।