एक कहावत है कि सच कड़वा होता है और यही सच इतना कड़वा बन जायेगा ये इस युवती ने कहां सोचा था। क्योंकि नए रिश्ते की नींव सच्चाई से रखते हुए युवती ने पति को बताया कि शादी से पहले उसके साथ रेप हुआ था। जिसके बाद पति ने अंगले ही दिन पत्नी को छोड़ दिया और आरोप लगाते हुए कहा कि इतनी बड़ी बात शादी के पहले क्यों नहीं बताई । इसके बाद सीधा कोर्ट जाकर विवाह को शून्य घोषित कराने आवेदन लगा दिया।
मामा के लड़के ने किया था दुष्कर्म
जब मामले का पता परिवार वालों को जला तब उन्होंने दोनो के बीच सुलह कराने की कोशिश की और मामले की तह पर जाने में पता चला कि, यह रेप किसी और ने नहीं उस लड़की के मामा के लड़के ने ही किया था। फिर क्या था मामा के लड़के के ऊपर दुष्कर्म का केस भी दर्ज कराया, लेकिन इसके बाद भी पति उसे रखने के लिए तैयार नहीं हुआ। पति ने बार-बार कोर्ट में यही कहा कि ये धोखे से किया गया विवाह है, इसे मान्य नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने महिला को भी अपनी बात रखने का पूरा समय दिया, लेकिन तीन साल बाद भी महिला ने कोर्ट में आकर अपनी बात ही नहीं रखी। जिसके बाद कोर्ट ने विवाह शून्य घोषित करने का आदेश पारित कर दिया।
फैमिली कोर्ट से विवाह को शून्य घोषित कराया
इस मामले में युवक ने साल 2019 में ही फैमिली कोर्ट में धोखे में रखकर की गई शादी को शून्य घोषित कराने के लिए आवेदन दिया था। फैमिली कोर्ट ने युवक की पत्नी से जवाब के लिए नोटिस जारी किया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुई। फिर मार्च 2020 के बाद कोविड और टोटल लॉकडाउन के चलते यह केस सुनवाई में नहीं आ सका। पहली, दूसरी व तीसरी लहर के बीच में जब-जब कोर्ट खुले तो सुनवाई हुई। कई बार कोर्ट ने युवक की पत्नी को पक्ष रखने का समय दिया, लेकिन पत्नी लंबे समय तक जवाब देने नहीं आई। इसके बाद कुछ दिन पहले पति के तर्क के आधार पर कोर्ट ने विवाह को शून्य घोषित कर दिया।
परिवार न्यायालय क्या है?
विवाह एवं पारिवारिक मामलों से संबन्धित विवादों में मध्यस्थता व बातचीत के माध्यम से हल निकालने एवं त्वरित समाधान सुनिश्चित करने के लिए 1984 में परिवार न्यायालय अधिनियम अधिनियमित किया गया। इसी अधिनियम के तहत परिवार न्यायालय की स्थापना की जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो परिवार न्यायालय एक वैधानिक संस्था है जिसका मकसद बातचीत, मध्यस्थता एवं क्षतिपूर्ति आदि के माध्यम से पारिवारिक विवादों को सुलझाना है।