केन्द्र सरकार से लेकर राज्य सरकारे भ्रष्टाचार को लेकर काफी सजग है। देश की तमाम एजेंसियां भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाकर रिश्वतखोरों को सलाखों के पीछे डाल रही है। लेकिन इन रिश्वतखोरों से जब्ज नगदी को लेकर अजीबोगरीब नियम बनाया गया है जिसके चलते हर साल लाखों रूपये के नोट बर्बाद हो जाते है। दरअसल, जब भी कोई जांच एजेंसी किसी रिश्वतखोर से नगदी जब्त करते है तो उन नोटों पर अधिकारियों और गवाहों को अपने हस्ताक्षर करने होते है। सरकार के इस नियम से हर साल लाखों रूपये के नोट बर्बाद हो जाते है।
विजिलेंस टीम और गवाह करते है हस्ताक्षर
खबरों के अनुसार भ्रष्टाचार और रिश्वतश्खोरी के मामलों में विजिलेंस की टीम आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ती है। विजिलेंस की टीम रिश्वतखोरों को भारतीय करेंसी के साथ गिरफ्तार करती है। नगदी जब्ती के बाद विजिलेंस की टीम में शामिल अधिकारी गवाहों के सामने जब्त नोटों पर हस्ताक्षर करती है। अधिकारी जब्ज हर नोट पर हस्ताक्षर करते है। ऐसे में अधिकारियों को नोटों पर कई हस्ताक्षर करने होते है। ताकि जब्त किए गए नोट चलन से बाहर हो सकें।
क्या है आरबीआइ का नियम!
विजिलेंस की टीम भले ही नोटों पर साइन करके उन्हें चलन से बाहर कर देती है लेकिन आरबीआइ के अनुसार नोटों पर कुछ भी लिखना उचित नहीं है। एक बार विजिलेंस के टीम ने एक सरकारी अधिकारी को 8 लाख रूपये के नोटों के साथ गिरफ्तार किया था। जिसके चलते टीम के अधिकारियों और गवाहों को नोटों पर 1200 हस्ताक्षर करने पड़े थें। ऐसे मामले हर साल सामने आते रहे है।
क्या किया जाता है नोटों का!
अब आप सोच रहे होंगे की साइन किए गए नोटों का क्या होता है। तो हम आपको बता दें कि जब्त नोटों पर साइन करने के बाद नोटों को सबूत के तौर पर मालखाने में जमा कर दिया जाता है। ऐसे में जब्त नोट बाजार में चलन से बाहर हो जाते है। वही जांच एजेंसी नोटों की सूचना आरबीआई को नोटों के नंबर समेत सूचना देता है। अधिकारी आरबीआई को बताते है कि उन्होंने कितने नोट और किस नंबर के नोट रिश्वतखोरी में बरामद किए है।