नई दिल्ली। आज से शारदीय नवरात्रि Day 1 Chaitra Navratri 2022 शुरू हो गए हैं। नवरात्री के नौ दिनों में मां के अलग—अलग रूपों की पूजा की जाएगी। मां का प्रथम रूप मां शैलपुत्री है। अत: इस दिन मां के इस रूप् की पूजा की जाएगी। आइए आपको बताते हैं। मां के Maa Shailputri Puja Vidhi, Mantra, Katha, Aarti 2022 इस रूप की विशेषता क्या है। इनका पूजन कैसे करें। मां को कौन सी चीज पसंद है।
ऐसी हैं मां शैलपुुत्री
मां का ये रूप बहुत ही शांतिप्रिय प्रतीत होता हैं। श्वेत वस्त्र धारण किए मां शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल शोभायमान है। उनके माथे पर चंद्रमा उनकी शोभा बढ़ा रहा है। संपूर्ण हिमालय पर विराजमान मां नंदी बैल पर सवार हैं। मां का यह रूप करुणा और स्नेह का प्रतीक है। शैलपुत्री मां को वृषोरूढ़ा और उमा भी कहते हैं। शास्त्रानुसार मां शैलपुत्री का जन्म पर्वत राज हिमालय के घर में हुआ था। इसी के चलते इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। घोर तपस्या करने वाली मां शैलपुत्री सभी जीव-जंतुओं की रक्षक मानी जाती हैं।
ऐसे करें मां का पूजन
सुबह उठकर स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद आटे से चौक बनाकर एक चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा तथा कलश की स्थापना करें। इसके बाद मां शैलपुत्री का ध्यान कर व्रत का संकल्प करें। चूंकि मां शैलपुत्री को सफेद रंग प्रिय हैं अत: उन्हें सफेद वस्त्र और सफेद फूल चढ़ाएं। जहां तक संभव हो भोग के लिए भी सफेद मिठाई का ही उपयोग करें। इसके बाद मां शैलपुत्री की कथा का श्रवण करें। हो सके तो दुर्गा सप्शती का पाठ करें। इसके बाद दुर्गा चालीसा का पाठ करके मां की आरती करें।
यह रही मां शैलपुत्री की कथा
एक बार राजा दक्ष द्वारा अपने निवास पर यज्ञ का आयोजन कर सभी देवी—देवताओं को आमंत्रित किया गया। परंतु अपने अपमान का बदला लेने के लिए उनके द्वारा शिव जी को नहीं बुलाया गया। माता सती ने भगवान शिव से अपने पिता के घर यज्ञ में शामिल होने की इच्छा जाहिर की। सती के आग्रह करने पर भगवान शिव ने भी उन्हें जाने की अनुमति तो दे दी लेकिन पिताजी के यहां पहुंचने पर पिता दक्ष ने भरी सभा में शिवजी के लिए अपशब्द कह डाले। इस स्थिति में मातासती निराश होकर मां सती यज्ञ वेदी में कूद पड़ी। उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। इसके बाद अगले जन्म में मां ने शैलराज हिमालय के घर में जन्म लिया। जहां वे शैलपुत्री कहलाईं।
मां शैलपुत्री के मंत्र:
ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
मां अम्बे की आरती:
जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥1॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥2॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥3॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥4॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥5॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥6॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥7॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥8॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥9॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥10॥
शारदीय नवरात्रि 2022, जय अम्बे गौरी आरती”
Chaitra Navratri Date Muhurta 2022 : शुरू हो गए हैं चैत्र नवरात्रि, सुबह 9 बजे से है राहुकाल, इस शुभ मुहूर्त में न करें कलश स्थापना
नवरात्रि प्रारंभ दिन – 2 अप्रैल 2022
प्रतिपदा समय 11:17 मिनट तक
प्रथम स्थापना मुहूर्त —
सुबह 7:30 से 9:00
राहु काल —
सुबह 9 से 10:30 तक
इस दौरान स्थापना निषेध है।
इसके अलावा शेष बचे शुभ, लाभ और अमृत मुहूर्त में कलश स्थापना की जा सकती है।
लाभ मुहूर्त — दोपहर 1:30 से 3 बजे तक
अमृत मुहूर्त — दोपहर 3 से 4:30 बजे तक
शाम का मुहूर्त — शाम को 6 से 7:30 तक लाभ रहेगा
किस दिन कौन सी माता रानी का होगा पूजन
April 2, 2022: Day 1 — मां शैलपुत्री Maa Shailputri Puja
April 3, 2022: Day 2 — मां ब्रहृम चारिणी
April 4, 2022: Day 3 — मां चंद्रघंटा
April 5, 2022: Day 4 — मां कूष्मांडा
April 6, 2022: Day 5 — मां स्कंद माता
April 7, 2022: Day 6 — मां कात्यायिनी
April 8, 2022: Day 7 — मां कालरात्रि
April 9, 2022: Day 8 — मां महागौरी
April 10,2022: Day 9 — सिद्धिदात्रि, राम नवंगी
April 11, 2022: Day 10 — नवरात्रि परायण