शिलांग। मेघालय में लोगों और प्रकृति के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक, सामाजिक एवं वानस्पतिक संबंधों को उजागर करते 70 से अधिक गांवों में पाए जाने वाले ‘लिविंग रूट ब्रिज’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की संभावित सूची में शामिल किया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
CM संगमा ने ट्वीट कर दी जानकारी
मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट किया, ‘‘यह बताते हुए खुशी हो रही है कि ‘जिंगकिएंग जेरी: लिविंग रूट ब्रिज कल्चरल लैंडस्केप्स ऑफ मेघालय’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल की संभावित सूची में शामिल किया गया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस यात्रा में समुदाय के सभी सदस्यों और हितधारकों को बधाई देता हूं।’’ ग्रामीणों ने लगभग 10 से 15 वर्षों की अवधि में जलाशयों के दोनों किनारों पर ‘फिकस इलास्टिका’ पेड़ की जड़ों से ‘लिविंग रूट ब्रिज’ को विकसित किया। पेड़ की जड़ों से इन पुलों का निर्माण किया जाता है।
Delighted to share that “Jingkieng Jri: Living Root Bridge Cultural Landscapes of Meghalaya” has been included in the @UNESCO World Heritage Site tentative list. I congratulate all community members and stakeholders in this ongoing journey.@PMOIndia
— Conrad Sangma (@SangmaConrad) March 28, 2022
100 ज्ञात ‘लिविंग रूट ब्रिज’
वर्तमान में, राज्य के 72 गांवों में फैले लगभग 100 ज्ञात ‘लिविंग रूट ब्रिज’ हैं। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन ने कहा कि मेघालय के ‘लिविंग रूट ब्रिज’ जो लोगों और प्रकृति के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक, सामाजिक और वानस्पतिक संबंधों को उजागर करते हैं, यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल किए जाने के योग्य हैं। पिछले साल यहां रूट-ब्रिज पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया था जहां वैज्ञानिकों ने ऑर्किड, उभयचर और स्तनधारियों की अनूठी प्रजातियों पर अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए जो इन पुलों पर पाए जा सकते हैं।