आपने बॉलीवुड का मशहूर गाना ‘रोते-रोते हंसना सीखो, हंसते-हंसते रोना’ तो जरूर सुना होगा, लेकिन ‘रोते-रोते हंसना और हंसते-हंसते रोने के लिए हमें सीखने की जरूरत नहीं पड़ती। हमारे साथ ऐसा अपने आप ही हो जाता है। जब भी हम बहुत ज्यादा खुश होते हैं, तो कई बार हंसते-हंसते खुद ही हमारी आंखों से आंसू छलक आते हैं जिसे लोग खुशी के आंसू भी कहते हैं। ऐसे में आपने क्या कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों और कैसे होता है?
दरअसल, हंसना और रोना दोनों ही क्रियाएं भावनाओं की अभिव्यक्ति हैं। हंसते-हंसते रोने, यानी आंसू निकलने के पीछे दो कारण बताए जाते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है और आप जानना चाहते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है, तो आज हम आपको इसके बारे में बताने जा रहे हैं… साथ ही आज हम ये भी जानेंगे कि खुशी का पहला आंसू और दुःख का पहला आंसू कौन सी आंख से निकलता है। जैसा कि हंसते-हंसते रोने के दो कारण बताए जाते हैं। इसमें पहला कारण बताया जाता है कि जब हम खुलकर हंसते हैं, तो हमारे चेहरे की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से काम करने लगती हैं। ऐसा होने पर हमारी अश्रु ग्रंथियों से भी दिमाग का नियंत्रण हट जाता है और आंसू निकल पड़ते हैं।
हंसने पर क्यों निकलते है आंसू
वहीं दूसरी वजह ये भी मानी जाती है कि बहुत ज्यादा हंसने की स्थिति में व्यक्ति भाव-विभोर हो जाता है। अधिक भावुक होने के कारण चेहरे की कोशिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिसके चलते आपके आंसू निकाल जाते हैं। ऐसा करके हमारा शरीर आंसुओं के जरिये हमारे तनाव को संतुलित करने की कोशिश करता है। दरअसल ये पूरी प्रक्रिया प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकती है। ये संबंधित व्यक्ति की भावनाओं पर निर्भर करता है। कई लोग कम रोते हैं, तो वहीं कई लोग बहुत जल्दी भावुक हो जाते हैं। साथ ही महिला या पुरुष होने से भी इस पूरी प्रक्रिया पर फर्क आ जाता है। माना जाता है महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक भावुक होती हैं। ऐसे में महिलाओं के साथ हंसते-हंसते आंसू निकलने की संभावना अधिक पाई जाती है।
क्या कहते है मनोवैज्ञानिक
बाल्टीमोर की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट प्रोवाइन के मुताबिक, कम या ज्यादा भावुक होने के पीछे मुख्य भूमिका हार्माेन की होती है। रॉबर्ट प्रोवाइन के मुताबिक, हंसने में दिमाग का जो हिस्सा सक्रिय होता है, रोने पर भी वही सक्रिय होता है। लगातार हंसने या रोने की स्थिति में दिमाग की कोशिकाओं पर अधिक तनाव पड़ता है। ऐसे में शरीर में कॉर्टिसोल और एड्रिनालाइन नामक हॉर्माेन्स का स्त्राव होता है। यही हॉर्माेन्स हंसते या रोते वक्त शरीर में होने वाली विपरीत प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार होते हैं।बइसके अलावा हंसने और रोने पर एक और रोचक तत्व की बात करें तो माना जाता है कि खुशी का पहला आंसू दाहिनी आंख से आता है और दुःख का पहला आंसू बायीं आंख से छलकता है।