नई दिल्ली। एक तरफ कोरोना लोगों की आर्थिक स्थिति की रीढ़ War Crisis तोड़ चुका है तो वहीं अब Crude Oil Price Hike रुस और यूक्रेन के युद्ध का असर भी अब भारतीयों की जेब पर भी पड़ने वाला है। आपको बता दें अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भयंकर उछाल के साथ कच्चे तेल की कीमत 113 डॉलर प्रति बैरल के पार हो गई है।
7 साल का सबसे बड़ा उछाल
आपको बता दें ये कीमतें जून 2014 के बाद से सबसे उच्चतम स्तर की हैं। वैसे तो बीते दो महीने से लगातार कच्चे तेल के दामों में तेजी देखी जा रही है। जहां एक ओर 1 दिसंबर 2021 को कच्चे तेल की कीमत 68.87 डॉलर प्रति बैरल थी जो अब बढ़त के बाद 113 डॉलर प्रति बैरल के पार हो गई है। इस साल यानि 2022 में कच्चे तेल की कीमतों में 40 प्रतिशत का इजाफा हो चुका है। इन बढ़ी कीमतों का असर सीधे हम पर पड़ने वाला है। वो इसलिए क्योंकि भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल दूसरी जगह से आयात करता है। जब आयात पर फर्क पड़ेगा तो हर चीज महंगी हो सकती है।
और बढ़ सकती हैं क्रूड ऑयल की कीमतें —
अभी तक जो असर है सो ठीक है लेकिन परेशानी अभी और बढ़ सकती है। क्योंकि अंतरराष्ट्रीय रिसर्च एजेंसियों के मुताबिक कच्चे तेल के दाम और बढ़ने के आसार हैं। Goldman Sachs के मुताबिक इसकी कीमत 115 डॉलर प्रति बैरल, तो JP Morgan ने 125 से150 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। जानकारों का ये भी कहना है कि युद्ध जितना खिचेगा तेल की कीमतें उतनी ही ज्यादा बढ़ेंगी।
अगले हफ्ते बढ़ेंगा पेट्रोल-डीजल के दाम —
आपको बता दें फिलहाल इंडिया में चुनाव का माहौल है। पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं। तो एमपी में भी पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान होना है। जिसके चलते 4 नवंबर 2021 के बाद से पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। पर ऐसा देखा जा रहा है कि 7 मार्च को पांच राज्यों के चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी उछाल आएगा।
चुनाव के चलते नहीं बढ़ा रहे दाम —
वैसे तो नवबरं 2021 से सरकारी तेल कंपनियों द्वारा कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होने के बावजूद सरकार रेट नहीं बढ़ा रही है ऐसा इसलिए
क्योंकि इलेक्शन का माहौल है। लेकिन 7 मार्च के बाद सरकार, तेल कंपनियों को पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने की हरी झंडी मिलने के बाद तुरंत कीमतों में आग लगेगी। ऐसा मान जा रहा है कि नौ रुपये प्रति लीटर तक बढ़ोतरी की जा सकती हैं।