देहरादून। ऋग्वेद में उत्तराखंड को देवभूमि कहा गया है। ऐसी भूमि जहां देवी-देवता निवास करते हैं। उत्तराखंड में ऐसे कई मंदिर हैं जहां देश-विदेश से लाखों लोग दर्शन करने आते हैं। पर उनमें सबसे महत्वपूर्ण देवता हैं गोलू देवता, गोलू देवता को न्याय का देवता कहा जाता है। कहा जाता है कि अगर आपकी मनोकामना पूरी नहीं हो रही है आप यहां चिट्ठी लिख कर लगा दें तो आपकी इच्छा जरूर पूरी होगी।
गोलू देवता को स्थानीय संस्कृति में न्याय के देवता के तौर पर पूजा जाता है। इन्हें राजवंशी देवता के तौर पर पुकारा जाता है। गोलू देवता को उत्तराखंड में कई नामों से पुकारा जाता है। इनमें से एक नाम गौर भैरव भी है। गोलू देवता को भगवान शिव का ही एक अवतार माना जाता है। मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में घंटी चढ़ाई जाती है।
उत्तराखंड ही नहीं बल्कि विदेशों से भी गोलू देवता के इस मंदिर में लोग न्याय मांगने के लिए आते हैं। मंदिर की घंटियों को देखकर ही आपको इस बात का अंदाजा लग जाएगा कि यहां मांगी गई किसी भी भक्त की मनोकामना कभी अधूरी नहीं रहती। मन्नत के लिए आवेदन पत्र लिखना होता है
ऐसा कहा जाता है कि जिनको न्याय नहीं मिलता वो गोलू देवता की शरण में पहुंचते हैं और उसके बाद उनको न्याय मिल जाता है।
गोलू देवता अपने न्याय के लिए दूर-दूर तक मशहूर हैं।हालांकि, उत्तराखंड में गोलू देवता के कई मंदिर हैं, लेकिन इनमें से सबसे लोकप्रिय और आस्था का केंद्र अल्मोड़ा जिले में स्थिति चितई गोलू देवता का मंदिर है। इस मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ और लगातार गुंजती घंटों की आवाज से ही गोलू देवता की लोक प्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
गोलू मंदिर दिल्ली से 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप इस मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो आपको आनंद विहार से सीधे अल्मोड़ा की बस मिलेगी। इसके अलावा आप पहले दिल्ली से हल्द्वानी भी जा सकते हैं और इसके बाद यहा से अल्मोड़ा के लिए गाड़ी ले सकते हैं।