अहमदाबाद। गुजरात के अहमदाबाद में वर्ष 2008 में हुए सिलसिलेवार धमाकों पर आए फैसले को ‘‘ ऐतिहासिक’’ करार देते हुए जांच दल में शामिल वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि यह मामले की जांच करने वाली टीम की कड़ी मेहनत और टीम भावना का सबूत है। उन्होंने कहा कि टीम ने अलग मॉड्यूल का भंडाफोड़ कर बहुत कम समय में सबूत एकत्र किया और विभिन्न राज्यों से आरोपियों को गिरफ्तार किया। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में अहमदाबाद में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के 38 सदस्यों को मौत की सुनाई। इसी मामले में अदालत ने 11 अन्य को उम्र कैद की सुजा सुनाई। इन धमाकों में 56 लोगों की मौत हुई थी, जबकि करीब 200 अन्य घायल हुए थे।
अपराध का पता लगाना चुनौतीपूर्ण कार्य था
भारत के न्यायिक इतिहास में पहली बार है जब अदालत ने एक बार में इतने दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। मामले की जांच अपराध शाखा को तब दी गई थी जब उसका नेतृत्व आशीष भाटिया कर रहे थे और इस समय वह गुजरात के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हैं। वहीं, उस समय के पुलिस उपायुक्त (अपराध) अभय चूडास्मा ने भी जांच में अहम भूमिका निभाई थी। जांच का हिस्सा रहे अधिकारियों के अनुसार, एक ऐसे अपराध का पता लगाना चुनौतीपूर्ण कार्य था, जिसे उचित योजना के साथ अंजाम दिया गया था और जिसमें एक समान उद्देश्य के लिए अलग-अलग काम करने वाले अलग-अलग मॉड्यूल शामिल थे।
टीम ने तमाम चुनौतियों को पार किया
मामले की जांच करने वाले अधिकारियों में से एक और इस समय गांधीनगर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) मयूर चावडा ने बताया, ‘‘आतंकवादियों ने योजना के साथ पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया था, अलग-अलग मॉड्यूल ने काम किया था। इतनी योजना से किए गए अपराध के बारे में पता लगाना मुश्किल था, लेकिन हमारी टीम ने तमाम चुनौतियों को पार किया।’’ उन्होंने कहा कि जांच के दौरान किये गए प्रयास को फैसले ने सही ठहराया। चावडा ने बताया कि करीब 300 पुलिस कर्मियों ने दोषियों को पकड़ने और उनके खिलाफ सबूत एकत्र करने के लिए कई राज्यों की खाक छानी।
उनको इसका श्रेय जाता है
खाडिया में जब धमाका हुआ तो उस समय अहमदाबाद की सहायक पुलिस आयुक्त रहीं उषा राडा ने कहा कि यह ऐतिहासिक निर्णय दिखाता है कि जांचकर्ताओं की मेहनत सफल रही। इस समय सूरत के एसपी पद पर तैनात राडा ने कहा, ‘‘यह दिखाता है कि जांच पुख्ता थी और जिन्होंने जांच की, उनको इसका श्रेय जाता है।’’ सूरत के एसीपी आर आर सरवैया, जिन्होंने शहर में बिना फटे मिले 29 बमों की जांच की थी, ने गवाहों की भूमिका की प्रशंसा की। अधिकारी ने कहा कि कुछ को छोड़कर 391 गवाहों का धर्म से परे जाकर मजबूती से मानना था कि इन धमाके के पीछे के लोगों को सजा दी जानी चाहिए।