नई दिल्ली। पूर्व विदेश मंत्री और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री रहीं दिवंगत सुषमा स्वराज की आज 70 वीं जयंती है। 6 अगस्त 2019 को दिल का दौरा पड़ने के कारण उनका निधन हो गया था। निधन के इतने साल बाद भी लोग उन्हें भूल नहीं पाए हैं। सुषमा स्वराज को लोग प्यार से “सुषमा दीदी” भी कहते थे। जब वह विदेश मंत्री बनी, तो लोगों ने उन्हें ‘देश की सुपर मॉम’ भी कहना शुरू कर दिया।
सुपर मॉम के रूप में थीं मशहूर
देश हो या विदेश, हर जगह सुषमा स्वराज सुपर मॉम के रूप में मशहूर थीं। जब वो विदेश मंत्री थी, तब लोग उन्हें ट्वीट कर अपनी समस्या बताते थे। सुषमा स्वराज भी हर ट्वीट पर संज्ञान लिया करती थीं। जब शिकायत का निवारण हो जाता, तो वह ट्विट कर सूचित भी कर देती थीं। इतना ही नहीं पाकिस्तान से रिश्ते चाहे जीतने भी खराब रहे हो, लेकिन जब वहां के लोग इलाज के लिए सुषमा स्वराज से गुहार लगाते, तो वो भली भांति उनकी बात सुनती थीं और वीजा का इंतजाम भी करती थीं।
मानवता को हमेशा रखा ऊपर
हालांकि, सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर कुछ लोग उन्हें ट्रोल भी करते थे। लेकिन फिर भी उन्होंने दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव से उपर मानवता को रखा था। उनके निधन के बाद पाकिस्तान से भी लोगों ने शोक व्यक्त किया था। सुषमा स्वराज से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं जिन्हें लोग हमेशा याद करते हैं। उन्हीं में से एक किस्सा है कि
उन्हें भारतीय सेना में भर्ती होना था, लेकिन वो बन गईं राजनेता। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला
सेना में शामिल होना चाहती थीं सुषमा
सुषमा स्वराज सेना में भर्ती होना चाहती थी। लेकिन उस समय आर्मी में महिलाओं की एंट्री बैन थी। ऐसे में उनका सेना में जाने का सपना पूरा नहीं हो सका। सुषमा, स्कूल के दिनों से ही वाद-विवाद में आगे रहती थी। स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री ली। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने 13 जुलाई 1975 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील स्वराज कौशल से विवाह किया।
राजनीतिक एंट्री
शादी के 2 साल बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा। बता दें कि सुषमा को सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनने का सौभाग्य भी प्राप्त था। सुषमा 1977 से 1979 तक मंत्री पद पर रहीं। उस दौरान राजनीति में भी महिलाएं कम ही आया करती थीं। हरियाणा में पली बढ़ी सुषमा 11 साल तक हरियाणा की राजनीति में सक्रिय रहीं। इसके बाद उन्होंने दिल्ली का रूख किया और भाजपा में शामिल हो गईं।
लोकसभा का लाइव प्रसारण कराया
अप्रैल 1990 में उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया। इसके बाद 1996 जब भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, तो सुषमा स्वराज भी दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची। जहां उन्होंने 13-दिवसीय वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने लोकसभा के लाइव प्रसारण का एक क्रांतिकारी कदम उठाया था। लोकसभा को उन्होंने तब घर-घर में पहुंचा दिया था। सुषमा स्वराज को अटल बिहारी वाजपेयी का काफी करीब माना जाता था।
खुद ही चुनाव लड़ने से कर दिया था मना
1998 में सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री भी बनीं। सुषमा स्वराज को विपक्ष की पहली महिला नेता बनने का सौभाग्य भी प्राप्त था। नरेंद्र मोदी सरकार में भी उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले उन्होंने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अगला लोकसभा चुनाव लड़ने से मना कर दिया था। उन्होंने एक स्वस्थ्य परम्परा को आगे बढ़ाया था। हालांकि, राजनीति में कुछ लोग ही अपवाद के रूप में हैं जो ऐसा करते हैं। जानकार उन्हें ‘राजनीति की सुनील गावस्कर’ मानते थे। क्योंकि गावस्कर ने भी समय से पहले क्रिकेट से संन्यास ले लिया था।
कृष्ण की अनन्य भक्त थी
सुषमा स्वराज बेहद ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी और कृष्ण की अनन्य भक्त थी। ब्रज चौरासी भजन सुनना उन्हें बेहद पसंद था। वह हर साल भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए वृंदावन और मथुरा जाना नहीं भूलती थीं। सुषमा धार्मिक मान्यताओं का पालन करती थीं और करवाचौथ का व्रत पूरी शिद्दत के साथ रखती थीं।