नई दिल्ली। अगर आप भारत में पैदा हुए हैं तो हो सकता है कि आप के हाथ पर भी यह निशान हो, क्योंकि भारत में 90% से ज्यादा नागरिक के हाथ में यह निशान है। इसके पीछे का कारण है बीसीजी इंजेक्शन। बीसीजी यानी ‘बैसिलस कैलमेट गुएरिन टीका’ (bacillus calmette guerin vaccine) जन्म के तुरंत बाद एक महीने के अंदर लगाया जाता है। यह बच्चे को टीबी की बीमारी से बचाता है। हालांकि, जब इसे लगाया जाता है तब हाथ में घाव बन जाता है। हल्का बुखार, थोड़ा दर्द और अन्य लक्षण दिखते हैं।
शुरुआत में जो घाव बनता है, उसके कारण यह निशान हमारे हाथों में हमेशा के लिए बन जाता है। लेकिन, सवाल वही है कि आखिर बाकी इंजेक्शन से घाव नहीं बनता तो बीसीजी इंजेक्शन से घाव क्यों होता है। आइए जानते हैं।
बीसीजी क्या है?
बीसीजी एक टीका है जो गंभीर प्रकार के तपेदिक को रोकता है, जैसे कि मेनिन्जाइटिस तपेदिक और मिलिअरी तपेदिक। इसे बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियोम बोविस से तैयार किया जाता है और टीका आपके दाहिने हाथ में लगाया जाता है। अब आप कहेंगे कि दाहिने हाथ में ही क्यों, तो बता दें कि इस टीके को दाहिने हाथ में पहचान के लिए लगाया जाता है। ताकि कोई भी आसानी से पहचान सके कि ये निशान बीसीजी के टीके का है।
क्यों हो जाता है स्थायी निशान?
यह स्थायी निशान शरीर में एक क्रिया के कारण होता है, जब बच्चे के शरीर में बीसीजी इंजेक्शन लगाया जाता है, तब वहां पर एक फुंसी विकसित हो जाता है, फुंसी को सुखने और पपड़ी पड़ने में सामान्यत: 6 से 10 सप्ताह का समय लगता है। इसके बाद शरीर पर एक छोटा सा निशान लगभग हमेशा के लिए रह जाता है।
टीका लगवाने का सही समय क्या है?
आपको अपने बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद से लेकर छ: महीने तक उसे टीका दिला देना चाहिए। हालांकि, पांच वर्ष की उम्र तक कभी भी उन्हें टीका लगवाया जा
सकता है।
यह टीका कितना कारगर होता है?
बता दें कि बीसीजी का टीका टीबी फैलाने वाले किटाणु ओं के संक्रमण को नहीं रोकता है, लेकिन यह बच्चों में टीबी की बीमारी को गंभीर रूप लेने से रोकने में मदद करता है। अध्ययन में दावा किया गया है कि बीसीजी का टीका इसके दिये जाने के समय से लेकर 15 वर्ष बाद तक टीबी की गंभीर बीमारी से बच्चों को बचाता है।