नई दिल्ली। दिल्ली की अदालत ने भारतीय नौसेना में कार्यरत अधिकारी को दुष्कर्म के मामले से बरी कर दिया है। अदालत ने यह फैसला कथित पीड़िता द्वारा बार-बार बयान बदलने के आधार पर दिया।
महिला ने दिए अलग-अलग बयान
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अंकुर जैन ने यह संज्ञान में लिया कि दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली महिला ने तीन अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग बयान दिया जिसके आधार उन्होंने लेफ्टिनेंट कमांडर को संदेह का लाभ दिया। अदालत ने कहा, ‘‘तीन अलग स्तर पर अभियोजन द्वार तीन अलग-अलग संस्करण प्रस्तुत किए गए। गवाहों की गवाही में विरोधाभास, सुधार और विसंगति होनी लाजमी है। प्रत्येक विरोधाभास, सुधार और विसंगति महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन इस मामले में अभियोजन द्वारा पीड़िता के भाई की उपस्थिति को लेकर तीन अलग-अलग संस्करण प्रस्तुत किया गया।’’
शादी के लिए मजबूर करने के लिए की गई शिकायत
अदालत ने कहा कि लगता है कि मौजूदा शिकायत आरोपी को शादी के लिए मजबूर करने के लिए की गई और जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान आरोपी झुक गया और उसने महिला से शादी कर ली जो जमानत आदेश और रिकॉर्ड में मौजूद तस्वीरों से भी परिलक्षित होता है। अदालत ने रेखांकित किया कि अंतत: यह शादी नहीं टिकी और दोनों ने तलाक ले लिया। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह काफी असमान्य है कि पीड़िता ने घटना के बाद अपनी मां को कुछ नहीं बताया और दो दिन तक इंतजार किया और आरोपी की मां द्वारा शादी से इनकार के बाद जानकारी दी।’’ अदालत ने कहा, ‘‘इसलिए, संदेह का लाभ आरोपी को मिलता है और उसे अभियोग से बरी किया जाता है।’’न्यायाधीश ने यह फैसला छह फरवरी को दिया था।