नई दिल्ली। बिजनेस में ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि दो दोस्त लंबे समय तक एक साथ रह पाते हैं। अक्सर हम देखते हैं कि जब दोस्ती कारोबारी पार्टनरशिप में बदलती है तो उसमें दरार आने की गुंजाइश पैदा हो जाती है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे कारोबारी दोस्त की दोस्ती के बारे में बताएंगे। जिनकी मिसाल दी जाती है। ये दोनों दोस्त हैं इमामी (Emami) कंपनी के फाउंडर राधेश्याम अग्रवाल (Radheshyam Agarwal) और राधेश्याम गोयनका (Radheshyam Goenka)
बचपन से है दोस्ती
दोनों की बचपन की दोस्ती कारोबार शुरू होने के बाद और गहराई और इतनी गहराई कि दोनों के परिवार, किसी टीवी सीरियल की एक बड़ी फैमिली जैसे हैं। खास बात यह है कि अब दोनों दोस्त एक साथ कंपनी में अपनी एग्जीक्यूटिव भूमिकाएं छोड़ने जा रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दोनों दोस्तों ने महज 20 हजार रुपये से अपना बिजनेस शुरू किया था और आज उन्होंने इमामी ग्रुप (Emami Group) को 20 हजार करोड़ रुपये का बना लिया है।
अगली पीढ़ी के पास जाएगा नियंत्रण
बता दें कि इमामी लिमिटेड का प्रबंधन नियंत्रण अब जल्द ही संस्थापकों की अगली पीढ़ी के पास जाने वाला है। ऐसे में दोनों दोस्तों ने अपने एग्जीक्यूटिव रोल को छोड़ने का फैसला किया है। अब कंपनी में आरएस गोयनका के बड़े बेटे मोहन गोयनका और आरएस अग्रवाल के छोटे बेटे हर्ष अग्रवाल क्रमश: कंपनी के वाइस-चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का पद संभालेंगे।
एक दूसरे से इस तरह मिलें
दोनों दोस्त कोलकाता में एक ही स्कूल में पढ़ते थे। राधेश्याम अग्रवाल, राधेश्याम गोयनका से सीनियर थे। दोनों का परिचय एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुआ। अग्रवाल जल्द ही स्कूल के पाठ्यक्रम पर अपने जूनियर को पढ़ाने के लिए कमोबेश रोजाना गोयनका के घर जाने लगे। 1964 में अग्रवाल ने बी कॉम पास किया और चार्टर्ड अकाउंटेंसी की पढ़ाई की, जिसे उन्होंने पहले प्रयास में और मेरिट के साथ पूरा किया। गोयनका ने एक साल बाद अपना बी कॉम पूरा किया और आगे एम कॉम और एलएलबी करने के लिए बढ़े। गोयनका की देखादेखी अग्रवाल ने भी फैसला किया कि उन्हें अपने कानूनी कौशल को सुधारने की जरूरत है और वह भी लॉ करने के लिए गोयनका के साथ हो लिए। दोनों ने 1968 तक अपनी शिक्षा पूरी कर ली।
कई व्यवसायों में हाथ आजमाया
कॉलेज खत्म करने के बाद दोनों दोस्तों ने एक साथ कई व्यवसायों में हाथ आजमाया। लेकिन जैसा वो चाहते थे वैसा कुछ नहीं हो रहा था। दोनों को करना तो बहुत कुछ था लेकिन पूंजी की कमी हमेशा आडे़ आ जाती थी। ऐसे में उन्हें गोयनका के पिता केशरदेव से मदद मिली। केशरदेव गोयनका ने दोनों दोस्तों को 20 हजार रूपए दिए। उन दिनों यह एक अच्छी खासी रकम हुआ करती थी। साथ ही उन्होंने अपने बेटे और उसके दोस्त के बीच 50:50 की साझेदारी की।
पिता ने फिर की मदद
इन पैसों से दोनों दोस्तों ने केमको केमिकल्स की शुरूआत की। कुछ दिन तक हालात ठीक रहे, लेकिन 1 साल बाद ही इस धंधे को भी बंद करने की नौबत आ गई। दोनों केशरदेव गोयनका के पास वापस गए और उन्हें बताया कि वे कारोबार को समेटना चाहते हैं। इस बात को सुनते ही केशरदेव गरज पड़े और कहा कि वह उन्हें और 1 लाख रूपया देने को तैयार हैं, लेकिन भागने का कोई सवाल ही नहीं है। पिता के इस प्रोत्साहन के बाद दोनों दोस्त बेहतर निर्णय के साथ व्यवसाय में वापस आ गए।
दोनों बिड़ला ग्रुप से जुड़ गए
कंपनी घोंघे की रफ्तार से बढ़ने लगी। शादी के बाद दोनों दोस्तों पर अधिक पैसा बनाने का दबाव बढ़ने लगा। इसी दौरान उन्हें कलकत्ता के तत्कालीन प्रमुख कॉर्पोर्ट घराने बिड़ला समूह के साथ काम करने का अवसर मिला। दोनों ने इस अवसर को हाथ से जाने भी नहीं दिया। 1970 के दशक के मध्य तक गोयनका, केके बिड़ला समूह में आयकर विभाग के प्रमुख बन गए और अग्रवाल आदित्य बिड़ला समूह के उपाध्यक्ष बन गए। साइड में उनका अपना बिजनेस भी चलता रहा।
ऐसे हुई इमामी ब्रांड की शुरूआत
जब दोनों दोस्त बड़े कॉर्पोरेट सेट अप के कामकाज से अवगत हो गए, तो उन्होंने महसूस हुआ कि अगर अपनी कंपनी को आगे बढ़ाना है तो उन्हें उत्पाद लाइन में अंतर लाना होगा और लीक से हटकर सोचना होगा। साथ ही मार्जिन में भी सुधार करना होगा। उन दिनों इंपोर्टेड कॉस्मेटिक्स और विदेशी लगने वाले ब्रांड नामों का क्रेज था। हालांकि, इंपोर्टेड वर्जन्स पर 140 प्रतिशत का उत्पाद शुल्क लगने के कारण ज्यादातर लोग इन प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं करते थे। ऐसे में गोयनका और अग्रवाल ने इस मौके को भुनाने का फैसला किया और बिड़ला ग्रुप से नौकरी छोड़ इमामी नाम से एक ब्रांड को लॉन्च किया।
बाजार में खुद बेचने जाते थे प्रोडक्ट
नए ब्रांड के तहत उन्होंने कोल्ड क्रीम, वैनिशिंग क्रीम और टैल्कम पाउडर लॉन्च किया। इस नाम से उन्हें बाजार में जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और वे घरेलू बाजार में स्थापित हो गए। शुरूआत में दोनों दोस्त खुद ही प्रॉडक्ट बेचने स्टोर्स जाया करते थे और बाद में पैसे कलेक्ट करने भी खुद ही जाते थे। हालांकि, बाद में उन्होंने कंपनी की जबरदस्त ब्रांडिंग की और उन्होंने माधुरी दीक्षित को ब्रांड एंबेसडर बनाया। कंपनी के इस फैसले ने इमामी ब्रांड को पूरे देश में मशहूर कर दिया। इमामी ने झंडू ब्रांड को भी साल 2008 में 130 करोड़ रूपये में खरीद लिया। आज इमामी ग्रुप का कारोबार 60 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है।