नई दिल्ली। पिछले एक महीने से दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत में हाड़ कंपाने वाली ठंड पड़ रही है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले 24 घंटों के दौरान, पश्चिमी हिमालय के ऊपरी इलाकों में हल्की बारिश और हिमपात की संभावना है। जिसके चलते उत्तर भारत में शीतलहर की स्थिती बनी रहेगी। IMD के मुताबिक, पंजाब,राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, बिहार और झारखंड के कई इलाकों में घना कोहरा छाया हुआ है। उत्तर पश्चिम भारत में आज से शीत लहर की स्थिति कम होने की संभावना है।
फरवरी में बदलेगा मौसम
IMD ने फरवरी में फिर वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण मौसम का मिजाज बदलने की संभावना जाहिर की है। दिल्ली में रविवार सुबह धूप निकली और न्यूनतम तापमान 7.5 डिग्री सेल्सियस रहा, जो इस मौसम के औसत तापमान से एक डिग्री सेल्सियस कम है। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने यह जानकारी दी। मौसम विभाग के अनुसार, दिन में तेज हवाएं चलने और अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहने का अनुमान है।
कश्मीर
सोमवार को कुछ स्थानों पर बारिश या हिमपात होने का अनुमान है। मौसम विभाग ने यह जानकारी दी है।अधिकारियों ने बताया कि शनिवार की रात कश्मीर घाटी में ज्यादातर जगहों पर तापमान में गिरावट दर्ज की गई। जम्मू कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर में न्यूनतम तापमान शून्य से 2.3 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया जबकि पिछली रात यह शून्य से 1 डिग्री सेल्सियस नीचे था।उत्तरी कश्मीर में मशहूर पर्यटक स्थल गुलमर्ग में पारा शून्य से 7.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। दक्षिण कश्मीर में पर्यटक स्थल पहलगाम में बीती रात तापमान शून्य से 7 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा, जो उससे पहले की रात शून्य से 2.8 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा था। अधिकारियों ने बताया कि काजीगुंड में न्यूनतम तापमान शून्य से 3.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया जबकि नजदीकी दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग शहर में यह शून्य से 2.8 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में पारा शून्य से 2.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। मौसम कार्यालय ने कहा है कि अगले 24 घंटों में मौसम शुष्क रहने की संभावना है। सोमवार को कुछ इलाकों में बारिश या बर्फबारी होने का अनुमान है। उसके बाद, 2 से 4 फरवरी तक बारिश होने का अनुमान है। कश्मीर अभी 40 दिन की कड़ाके की ठंड की चपेट में है जिसे ‘चिल्लई कलां’ भी कहा जाता है। ‘चिल्लई कलां’ पिछले साल 21 दिसंबर को शुरू हुआ। ‘चिल्लई कलां’ तब शुरू होता है जब क्षेत्र में शीत लहर का प्रकोप होता है और पारा इतना गिर जाता है कि यहां मशहूर डल झील समेत जलाशय जम जाते हैं। इस अवधि के दौरान बर्फबारी सबसे अधिक होती है खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में। ‘चिल्लई कलां’ की अवधि 31 जनवरी को समाप्त होगी लेकिन कश्मीर में उसके बाद भी शीतलहर जारी रहेगी। इसके बाद 20 दिन का ‘चिल्लई खुर्द’ (कम ठंड) और 10 दिवसीय ‘चिल्लई बच्चा’ शुरू होगा।