Indian Railway। स्टोरी ऑफ द डे में आज, आजाद भारत के सबसे बड़े ट्रेन रॉबरी की कहानी। जब चलती ट्रेन की छत काटकर चोरों ने 5.80 कोरोड़ रूपये का डाका डाला था। 8 अगस्त, 2016 तमिलनाडु के सेलम से चेन्नई जाने वाली पैसेंजर ट्रेन (11064 सेलम-चेन्नई इग्मोर एक्सप्रेस) की रिजर्व बोगी में RBI के 342 करोड़ रूपए ले जाए जा रहे थे। इस बोगी की निगरानी के लिए 18 पुलिसवाले भी बगल की बोगी में मौजूद थे। मगर कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही चोरों ने देश के सबसे ट्रेन रॉबरी को अंजाम दे दिया।
पुलिस भी हैरान थी
डाका पड़ने के बाद पुलिस भी हैरान थी। क्योंकि चलती ट्रेन में इस चोरी को अंजाम दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस घटना को मध्य प्रदेश के पारदी गैंग ने अंजाम दिया था। लेकिन, इस गैंग के बारे में पता लगाना इतना आसान नहीं था। पुलिस और CID ने इस मामले में हजारों लोगों से पूछताछ की थी। साथ ही लाखों कॉल डिटेल्स खंगाले गए थे। लेकिन करीब 2 साल तक कुछ पता नहीं चल पाया था। आखिर में NASA की मदद से 730 दिन बाद 30 अगस्त, 2018 को पता लग पाया था कि ट्रेन रॉबरी किसने की थी।
एक बोगी को बुक किया गया था
बतादें कि इस RBI ने रूपए ट्रांसपोर्ट करने के लिए एक बोगी बुक की थी। बोगी में 226 बॉक्स में 342 करोड़ रूपए रखे थे। 19 कोच वाली यह ट्रेन रात 9 बजे सलेम से रवाना हुई। जिस बोगी में कैश रखा गया था, उसकी इंजन के बाद दूसरी पोजिशन थी। लेकिन विरधाचलम में इंजन ने जैसे ही पोजिशन बदली कैश वाला कोच आखिरी नंबर पर आ गया। ट्रेन अगले दिन 4 बजे चेन्नई पहुंची। इसके बाद यह यार्ड में भेजी गई और फिर इग्मोर रेलवे स्टेशन में, जहां पार्सल ऑफिस है। लेकिन जैसे ही ट्रेन रूकी तो पुलिस ने देखा कि 4 बॉक्स खुले हुए हैं और उसमें रखे पैसे गायब हैं।
CID ने NASA की मदद ली
आनन फानन में RBI के अधिकारी पार्सल ऑफिस पहुंचे। उन्होंने देखा की कोच की छत में 2 वर्ग फीट का एक छेद है और छत का कटा हुआ हिस्सा फ्लोर पर पड़ा हुआ है। साथ ही कुछ नोट फ्लोर पर बिखरे हुए हैं। RPF ने डकैती की रोर्ट दर्ज कर जांच शुरू की। रेलवे अफसरों को शक था कि लूट में किसी ऐसे शख्स का हाथ है, जिसे लोडिंग पैटर्न और ट्रेन रूट के बारे में पूरी जानकारी है। हालांकि, फिर भी महीनों तक लुटेरों का पता नहीं चल पाया। बाद में CID ने इस मामले की जांच की। CID ने इस जांच में अमेरिका की स्पेस एजेंसी NASA की मदद ली।
प्लान बनाकार मप्र से पहुंचे थे तमिलनाडु
NASA के जरिए CID को पता लगा कि डकैती किस एरिया में की गई। इसके बाद CID ने इस एरिया में घटना वाले दिन एक्टिव मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली। जिन-जिन नंबरों पर शक गया, सभी मध्य प्रदेश की आईडी पर थे। फिर क्या था, CID ने मध्य प्रदेश में दबिश देकर एक-एक कर 8 लोगों को पकड़ लिया। मोहर सिंह पारदी ने CID को बताया कि प्लानिंग बनाकर उसके साथ 7 लोग तमिलनाडु पहुंचे थे। उन्हें पहले से इसकी जानकारी थी कि RBI का पैसा सेलम-चेन्नई एक्सप्रेस के जरिए भेजा जाता है। गैंग ने 8 दिन लगातार ट्रेन में सफर कर रेकी की और चिन्नासालेम और विरधाचलम रेलवे स्टेशन के बीच डाका डालने की प्लानिंग तय की गई।
मौके का उठाया फायदा
क्योंकि, इन दोनों स्टेशन के बीच ट्रेन 45 मिनट से ज्यादा समय तक चलती है और इस दौरान काफी रात भी हो जाती है। घटना वाले दिन मोहर सिंह और उसकी गैंग ने ट्रेन की छत पर बैठकर यात्रा करने का फैसला किया। चिन्नासालेम तक ट्रेन इलेक्ट्रिक इंजन और फिर यहां से आगे तक डीजल इंजन पर चलती है। मौका मिलते ही पारदी गैंग ने बैटरी वाले कटर से बोगी की छत काट दी। एक डकैत अंदर गया और लकड़ी के बॉक्स को काटकर नोटों के बंडल को अंडर गारमेंट में भरकर बाहर बैठे शख्स को पहुंचाया। बाहर बैठे शख्स ने रेलवे लाइन किनारे इंतजार कर रहे साथी को नोटों का बंडल फेंककर दे दिया। वहीं जैसे ही ट्रेन धीमी हुई दोनों ट्रेन से कुद कर फरार हो गए।