Chief Economic Adviser of India: सरकार जल्द ही मुख्य आर्थिक सलाहकार के नाम का ऐलान कर सकती है। सीईए पद की इस दौड़ में वेंकटरमन अनंत नागेश्वरन (Venkatraman Anantha Nageswaran) का नाम सबसे आगे है। पूर्व सीईए कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम का कार्यकाल समाप्त होने के बाद यह पद खाली पड़ा है और अभी तक नए सीईए की न्युक्ति नहीं हो पाई है।
सीईए की गैरमौजूदगी में तैयार किया जा रहा है इकोनॉमिक सर्वे
बता दें कि अगले हफ्ते वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण यूनियन बजट (Union Budget) पेश करेंगी। उससे ठीक एक दिन पहले यानी 31 जनवरी को वह संसद में इकोनॉमिक सर्वे पेश करेंगी। इकोनॉमिक सर्वे तैयार करने का काम मुख्य आर्थिक सलाहकार का होता है। लेकन, इस बार इसे सीईए की गैरमौजूदगी में तैयार किया जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं कौन हैं वी अनंग नागेश्वर, जिन्हें देश का नया मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किए जाने की बात हो रही है।
कौन हैं नागेश्वरन?
डॉ वी अनंत नागेश्वरन दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश में क्रिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर हैं। उन्हें बिजनेस और आर्थिक मामलों का काफी अनुभव है। डॉ नागेश्वर ने 1985 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद से एमबीए की पढ़ाई की थी। उन्होंने विनिमय दरों के अनुभवजन्य व्यवहार पर अपने काम के लिए मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय से वित्त में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।
नागेश्वरन अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2019 तक आईएफएमआर ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस के डीन रह चुके हैं। 2019 और 2021 के बीच उन्हें इंडिया में प्रधानमंत्री के इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल का पार्ट-टाइम मेंबर भी नियुक्त किया गया था। इसके अलावा 2011 तक सिंगापुर में स्थित बैंक जूलियस बेयर एंड कंपनी के वैश्विक मुख्य निवेश अधिकारी भी थे। कई प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट इंस्टीट्यूशंस के लिए रिसर्च वर्क में स्विट्जरलैंड में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है।
क्या जिम्मेदारी होगी?
अगर नागेश्वर को सीईए नियुक्त किया जाता है तो उन पर ग्रोथ के रास्ते पर लौट रही इंडियन इकोनॉमी के लिए अहम पॉलिसी बनाने की जिम्मेदारी होगी। सीईओ का पद फाइनेंस मिनिस्ट्री में सेक्रेटरी के बराबर होता है। उसका काम आर्थिक मसलों पर सरकार को राय देने के साथ ही अर्थव्यवस्था के रास्ते में आने वाली अड़चनों की पहचान करना और उन्हें दूर करने के रास्ते सुझाना होता है।
इंडिया एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। कोरोना की मार के बाद अब यह तेज ग्रोथ के रास्ते पर लौट रही है। हालांकि, पिछले दो साल में सरकार के ज्यादा खर्च करने से राजकोषीय घाटा बहुत बढ़ गया है। ऐसे में नए सीईए पर इकोनॉमी में मजबूती लाने की भी जिम्मेदारी होगी।